नयी दिल्ली। रिलायंस होम फाइनेंस ने रविवार को कहा कि कर्जदाताओं द्वारा करायी गयी स्वतंत्र फोरेंसिक ऑडिट में उसके यहां किसी तरह की धोखाधड़ी या धन के हेरफेर और गबन के कोई सबूत नहीं मिले हैं। कंपनी ने एक बयान में कहा कि ऑडिट में कर्ज की राशि तथा इसके इस्तेमाल को लेकर कुछ भी अनुचित नहीं पाया गया है। यह कंपनी भी गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र के वित्तीय संकट के बीच अपने कुछ कर्जों का समय से भुगतान नहीं कर सकी थी। कंपनी को कर्ज देने वाले संस्थानों (बैंकों) ने अगस्त 2019 में इस मामले में ऋणशोधन प्रक्रिया के तहत ग्रांट थॉर्नटन को इसके बही खातों की फोरेंसिक ऑडिट का काम दिया था।
केंद्रीय बैंक ने ऐसी कंपनियों के अटके ऋणों के समाधान की प्रक्रिया के तहत सावधानी के लिए उनका फोरेंसिक ऑडिट कराने का प्रावधान कर रखा है जिनका नियंत्रण और प्रबंध दूसरे के हाथ में जाने वाला होता है। कंपनी ने कहा कि कर्जदाताओं ने ऑडिटर को यह पता लगाने की जिम्मेदारी दी थी कि क्या उसके यहां किसी प्रकार की धन की हेरा-फोरी, खातों के बारे में गलत जानकारी, कंपनी के प्रवर्तकों और अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार की धोखाधड़ी तो नहीं की गयी है। उसने कहा, 'ऑडिटर ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और उसमें धन के हेरफेर, गबन, दुर्भावनापूर्ण परिचालन, खातों में जालसाजी, धोखाधड़ी वाले लेन-देन समेत 11 मुख्य कसौटियों पर पर कुछ भी गलत नहीं पाया गया है।'
रिपोर्ट में इस बात को सही पाया गया है कि उसके समूह की कई मध्यस्थ गैरसूचीबद्ध कंपनियों का उस पर ब्याज समेत 7,984 करोड़ रुपए का बकाया है। कंपनी ने कहा कि वह फोरेंसिक ऑडिट से पहले ही इस बात को स्वत: स्वीकार कर चुकी थी और कहा था कि यह धन समूह की उन इकाइयों ने इस धन का इस्तेमाल केवल कर्ज और ब्याज चुकाने पर ही किया था। कंपनी ने कहा कि ऑडिट पूरा हो जाने के बाद उसने बैंकों से ऋण समाधान की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कहा है।
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