एफपीआई ने 2020 में अब तक शेयर बाजार में किया 1.4 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश
यह साल 2002 के बाद किसी कैलेंडर वर्ष के दौरान विदेशी निवेशकों के द्वारा किया गया सबसे ऊंचा निवेश है। यह इतिहास में पांचवां अवसर है जबकि शेयरों में एफपीआई का शुद्ध निवेश किसी साल में एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है।
नई दिल्ली। आकर्षक मूल्यांकन, तरलता की बेहतर स्थिति और अमेरिकी डॉलर में कमजोरी के रुख के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल यानी 2020 में भारतीय शेयर बाजारों में 1.4 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश किया है। यह उनके निवेश का पिछले 18 सालों में सबसे ऊंचा स्तर है। हालांकि, कोविड-19 महामारी से अर्थव्यवस्था पर पड़े दबाव के बीच विदेशी निवेशकों ने ऋण या बांड प्रतिभूतियों से रिकॉर्ड निकासी भी की है। डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के अनुसार एफपीआई ने इस साल अब तक शुद्ध रूप से बांड बाजार से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। हालांकि, हाइब्रिड प्रतिभूतियों में उन्होंने शुद्ध रूप से 10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यदि कुल निवेश परिदृश्य में कोई बड़ा बदलाव नहीं आता है, तो यह रुख अगले कुछ माह तक और जारी रहेगा।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘कोविड-19 टीके को लेकर कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रमों से भारत को लाभ होगा। इसके अलावा अर्थव्यवस्था में सुधार से निवेशकों की धारणा और भारत के प्रति उनके परिदृश्य में भी सुधार होगा। ऐसे में भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना रहेगा।’’ उन्होंने कहा कि यदि अर्थव्यवस्था लंबे समय तक कमजोर बनी रहती है, तो यह एक बड़ी बाधा साबित होगा। इसके अलावा यदि कोरोना वायरस महामारी की एक और लहर की वजह से लॉकडाउन उपायों को फिर लागू करना पड़ता है, तो इससे धारणा प्रभावित होगी और विदेशी निवेशक जोखिम लेने से बचेंगे।
वर्ष 2020 समाप्त होने वाला है। अब तक एफपीआई ने इस साल शेयरों में शुद्ध रूप से 1.42 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह 2002 से किसी कैलेंडर वर्ष में उनका सबसे ऊंचा निवेश है। यह इतिहास में पांचवां अवसर है जबकि शेयरों में एफपीआई का शुद्ध निवेश किसी साल में एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। इससे पहले 2019 में एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 1.01 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। 2013 में उनका शुद्ध निवेश 1.13 लाख करोड़ रुपये, 2012 में 1.28 लाख करोड़ रुपये और 2010 में 1.33 लाख करोड़ रुपये रहा था। वहीं दूसरी ओर एफपीआई ने ऋण या बांड बाजार से 2020 में 1.07 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है। हालांकि, इसके दौरान उन्होंने ऋण-वीआरआर में 23,350 करोड़ रुपये का निवेश किया है। रिजर्व बैंक ने ऋण बाजारों में एफपीआई के दीर्घावधि के स्थिर निवेश को आकर्षित करने के लिए मार्च, 2019 में स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) शुरू किया था। इस मार्ग से निवेश करने वाले एफपीआई यदि अपने निवेश का न्यूनतम प्रतिशत एक निश्चित अवधि के लिए स्वैच्छिक रूप से भारत में रोकने की प्रतिबद्धता जताते हैं, तो उन्हें बांड बाजार में एफपीआई निवेश से संबंधित कई नियामकीय नियमों से छूट मिलती है।