पी-नोट्स पर SEBI के प्रस्तावों का विदेशी निवेशकों ने किया समर्थन
SEBI विवादों से घिरे पी-नोट्स के नियम कड़े करने की तैयारी कर रहा है।
नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) विवादों से घिरे पी-नोट्स के नियम कड़े करने की तैयारी कर रहा है और जे पी मॉर्गन, HSBC, UBS और गोल्डमैन साक्स जैसे प्रमुख विदेशी निवेशकों ने ऐसे निवेश के मामले में किसी उल्लंघन के बारे में नियामक को तत्काल सूचना देने के प्रावधान का समर्थन किया है।
हालांकि, इन निवेशकों का मानना है कि किसी प्रकार के और नियंत्रक उपाय संसाधनों की दृष्टि से अधिक प्रभावी नहीं होंगे, क्योंकि पी-नोट के बारे में भारत में नियामकीय शर्तें वैश्विक स्तर पर ऐसे ऑफशोर डेरिवेटिव उत्पादों (ODI) के संबंध में लागू नियमों की तुलना में कहीं अधिक कड़ी है।
इन विदेशी संस्थागत निवेशकों ने जिन लोगों को पी-नोट्स का अंतत: लाभ होता है ऐसे बड़े अनुपात में निवेशकों को लेकर जाहिर की जाने वाली चिंता को भी दूर करने का प्रयास किया जो केमैन आइलैंड में पंजीकृत है। वहां पंजीकृत ऐसे निवेशकों का भारत में ऐसे उत्पादों में निवेश करने वाले कुल निवेश का 41 प्रतिशत है। सेबी को दिये गये ज्ञापन में उनकी ओर से कहा गया है कि मैन आइलैंड ऐसी पात्र जगहों में है जहां से विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) और (ODI) पी-नोट्स किया जा सकता है।
पूंजी बाजार नियामक को दिए ग्यापन में इन निवेशकों ने कहा कि कोष प्रबंधक कई निवेशकों की ओर से निवेश करते हैं। उन्हें इस तरह के निवेश को पूल या इकट्ठा करने के लिए एक इकाई की जरूरत होती है।
इसमें कहा गया है कि कई बार कोषों के पास सैकड़ों और कुछेक बार विभिन्न देशों के हजारों निवेशक होते हैं। ऐसे में कोष प्रबंधकों के लिए विभिन्न बाजारों में प्रत्येक निवेशक के लिए अलग प्रतिभूति और बैंकिंग खाता खोल पाना संभव नहीं होता। उन्होंने कहा कि केमैन आइलैंड में कोष की स्थापना भारत में उनके निवेश से अलग है, क्योंकि ये कोष वैश्विक स्तर पर निवेश करते हैं और भारत उनके पोर्टफोलियो का एक हिस्सा मात्र है।
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