नई दिल्ली। देश की ग्राम पंचायतों में आर्थिक वृद्धि और गरीबी मापने के लिए अब सरकार नए पैमाइश का उपयोग करेगी। इसके तहत सरकार बैंक बैलेंस जांचेगी। सरकार यह देखेगी कि कितने ग्रामीण परिवारों के बैंक खातों में 10,000 रुपए का न्यूनतम बैंक बैलेंस है।
यदि किसी पंचायत में 10,000 रुपए न्यूनतम बैंक बैलेंस वाले परिवारों की संख्या अधिक है, तो उसे सरकार के गरीबी इंडेक्स में सकारात्म रेटिंग दी जाएगी। गरीबी का स्तर तय करने के लिए सरकार अन्य मानदंड भी अपनाएगी, जिसके तहत विविध आजीविका के लिए बैंक लोन लेने वाले परिवारों की संख्या भी देखी जाएगी। ऐसे ऋणी की संख्या जितनी अधिक होगी, गरीबी रेखा पर उस गांव की स्थिति उतनी ही बेहतर होगी।
गरीबी मापने के यह नए मापदंड ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा तए किए गए 21 मापदंडों का हिस्सा हैं। मंत्रालय ने अंत्योदया कार्यक्रम के तहत ग्राम पंचायतों की प्रगति को मापने के लिए इन 21 मापदंडों को अंतिमरूप दिया है। इसके आधार पर ही उस स्थान पर विकास कार्यों को अंजाम दिया जाएगा।
पंचायतों में गरीबी का स्तर मापने के लिए कई प्रमुख मानकों को देखा जाएगा जिसमें रोजगार या स्व-रोजगार वाली महिलाओं की संख्या, एलपीजी कनेक्शन वाले परिवारों का प्रतिशत, कम से कम 12 घंटे दैनिक बिजली आपूर्ति, इंटरनेट कनेक्टीविटी और खुले में शौच मुक्त दर्जा शामिल हैं।
अन्य प्रमुख मानकों में डेयरी और पशु क्षेत्र में रोजगार प्राप्त परिवारों की संख्या तथा गैर-कृषि रोजगार में कुशल श्रमिकों की संख्या शामिल है। 50,000 ग्राम पंचायतों, जहां अंत्योदया योजना को लागू किया जा सकता है, को विकास कार्य के लिए 5,000 समूहों में आवंटित किया जाएगा। मंत्रालय ने इस योजना में शामिल करने के लिए पंचायतों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है।
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