नई दिल्ली। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के सचिव जगदीश प्रसाद मीना ने मंगलवार को कहा कि भारतीय खाद्य उद्योग को शोध एवं विकास तथा गुणवत्ता प्रमाणन पर ध्यान देना चाहिए ताकि उसके उत्पाद विदेशी बाजारों में खाद्य उत्पादों को अस्वीकृत नहीं किया जा सके। उन्होंने बासमती चावल सहित कई उत्पादों के निर्यात की खेप को लेकर चिंता व्यक्त की जिन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मीना ने कहा कि हम प्रमाणीकरण के मामले में बहुत कमजोर हैं और यही कारण है कि हमारे उत्पादों को खारिज कर दिया जा रहा है। पिछले दो वर्षों से बासमती चावल में कीटनाशकों के अवशेष की गंभीर समस्या सामने आ रही है और कई निर्यात खेपों को अस्वीकृत किया गया है।
उन्होंने कहा कि अब, शहद समेत कई उत्पादों को अमेरिका और यूरोप में रोका गया है जिसके लिए मुकदमा चल रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि उद्योग गुणवत्ता पर उचित ध्यान नहीं दे रहा है। उन्होंने शैक्षणिक संस्थान निफ्टेम द्वारा आयोजित खाद्य प्रसंस्करण पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा।
मीना ने कहा कि उद्योग खाद्य उत्पादों का निर्यात आसानी से और विस्तारित होगा बशर्ते कि उद्योग वैश्विक मानकों के अनुरूप गुणवत्ता प्रमाणन पर ध्यान केंद्रित करे। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थो के मामले में, सुरक्षा और गुणवत्ता अत्यंत महत्व चीज है। उन्होंने उद्योग जगत ने उन नए उत्पादों को सामने लाने का आग्रह किया जो विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी हों।
समारोह को संबोधित करते हुए खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि निफ्टेम अपने आपमें अलग तरह का संस्थान है तथा इसमें खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन क्षेत्र का ‘हार्वर्ड’ बनने की क्षमता है। निफ्टेम एक ऐसा विश्वविद्यालय है जो नवजात होने के बावजूद देश के 3,007 विश्वविद्यालयों में 50वें स्थान पर है।
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