नयी दिल्ली। कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को विश्वबैंक समूह (डब्ल्यूबीजी) से कमजोर देशों की रिण भुगतान क्षमता (को मजबूत करने की जरूरत) को ध्यान में रखते हुये संकट के दौर में किए गए उपायों को बनाये रखने की संभावनायें तलाशने का आग्रह किया। वित्त मंत्री सीतारमण ने विश्वबैंक-- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की विकास समिति की 103वीं बैठक को वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए विकासशील देशों को समय पर और सस्ती दरों में टीका उपलब्ध कराने में विश्व बैंक समूह द्वारा निभाई गई सक्रिय भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूबीजी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन और वैश्विक टीका गठबंधन जैसी बहुपक्षीय एजेंसियों की मदद से यह काम करने में भूमिका निभाई।
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सीतारमण ने कहा कि कोविड- 19 महामारी के दौरान विश्वबैंक समूह ने अपनी वित्त पोषण गतिविधियों को बढ़ाया है। इसके चलते पहली बार कुल मंजूर कर्ज की रकम 100 अरब डालर से ऊपर निकल गई। वित्त मंत्री ने कहा कि वर्तमान में सभी देश कोविड- 19 महामारी से अपने लोगों को सुरक्षित निकालने और अपनी अर्थव्यवस्था का संचालन करने पर है। सीतारमण ने कहा कि भारत ने महामारी की रोकथाम और उसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिये कई उपाय किये हैं।
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इसके लिये पिछले एक साल के दौरान आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की पूरी श्रंखला जारी की गयी है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने इस दौरान कुल मिलाकर 27.1 लाख करोड़ रुपये का आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है जो कि जीडीपी का 13 प्रतिशत हिस्सा है। उन्होंने कहा कि ये पैकेज न केवल गरीब और वंचित तबके को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये जारी किये गये हैं बल्कि इसके साथ आर्थिक सुधारों को भी आगे बढ़ाने का काम किया गया है।
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