नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि GST पर राज्यों के साथ चर्चा के दौरान पेट्रोलियम और शराब जैसे मुद्दों पर कुछ कड़ा विरोध था। उन्होंने कहा- संविधान संशोधन के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी के तहत कर , जब भी जीएसटी परिषद तय करे, लगाया जा सकता है । जीएसटी लागू होने के बाद एक दो साल में परिषद को इस पर पुनर्वचिार का फिर मौका मिलेगा। यह भी पढ़े:
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पेट्रोल और शराब को भी लाएंगे GST के दायरे में
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी पर राज्यों के साथ चर्चा के दौरान पेट्रोलियम और शराब जैसे मुद्दों पर कुछ कड़ा विरोध था क्योंकि राज्य अपना कराधान अधिकार छोड़ने को अनिच्छुक थे। उन्होंने कहा, यदि हमने उस पर जोर दिया होता है तो सहमति नहीं बन पाती। संविधान संशोधन के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी के तहत कर , जब भी जीएसटी परिषद तय करे, लगाया जा सकता है । जीएसटी लागू होने के बाद एक दो साल में परिषद को इस पर पुनर्वचिार का फिर मौका मिलेगा। यह भी पढ़े: GST लागू करने के दौरान शुरू में आ सकती हैं कुछ दिक्कतें, महंगाई रोकने और कर चोरी कम करने में मिलेगी मदद
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रीयल एस्टेट को GST में लाने के विरोध में है ज्यादातर राज्य
जेटली ने कहा कि वह व्यक्तिगत रुप से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा रीयल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने के प्रस्ताव पक्ष में थे लेकिन कुछ अन्य राज्य इसके पक्ष में नहीं थे। उन्होंने कहा, तब यह तय किया गया कि पहले जीएसटी लागू होने दिया जाए और फिर एक साल बाद हम इसकी समीक्षा करेंगे। यह भी पढ़े: GST: अरुण जेटली ने जम्मू-कश्मीर से SGST पारित करने का किया आग्रह, 1 जुलाई से खड़ी हो जाएगी समस्या
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