फ्लिपकार्ट को नहीं मिले ऑनलाइन किताबों के शौकीन, बंद की ई-बुक्स की बिक्री
ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने शुक्रवार से ई-बुक्स की बिक्री बंद कर दी है। कंपनी लॉन्च के तीन साल बाद से किताबों को ऑनलाइन बेच रही थी।
नई दिल्ली। ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने शुक्रवार से ई-बुक्स की बिक्री बंद कर दी है। कंपनी लॉन्च के तीन साल बाद से किताबों को ऑनलाइन बेच रही थी। कंपनी के अनुसार भारत में ई-बुक्स को लेकर कस्टमर्स का रुझान काफी कम है। इसलिए कंपनी ई-बुक्स बेचना बंद कर रही है। 11 दिसंबर से फ्लिपकार्ट यूजर्स को ई-बुक्स कनाडा की ई-बुक और ई-रीडर कंपनी राकुटेन कोबो बेचेगी। यह कंपनी दुनिया भर में 4 लाख से ज्यादा किताबें बेचती है।
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2012 में लॉन्च की थी सर्विस
फ्लिपकार्ट ने ई बुक स्टोर वर्ष 2012 में लॉन्च की थी। वर्ष 2013 में कंपनी ने इसके लिए एंड्रॉयड, iOS, विंडोज और वेब के लिए मोबाइल एप्लिकेशन भी लॉन्च की थी। गौर करने वाली बात है कि फ्लिपकार्ट ने वर्ष 2007 में ऑनलाइन बुक रिटेलर के तौर पर शुरु किया था, लेकिन बाद में हाइयर वैल्यु प्रोडक्ट बेचने शुरु कर दिए थे। मौजूदा समय में अमेजन ही भारत का सबसे बड़ा ऑनलाइन बुक्स का बाजार है। फ्लिपकार्ट ने ई-बुक डिस्ट्रीब्युटर स्मैशवर्ड्स के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था जो कि इस साल सितंबर में कैंसिल कर दिया है। तब से यह कयास लगाए जा रहे थे कंपनी कभी भी अपनी सह सेवा बंद कर सकती है।
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फ्लिपकार्ट के तीसरी डिजिटल सर्विस हुई बंद
अब तक फ्लिपकार्ट की किसी भी डिजिटल सर्विस में किस्मत नहीं चली। पिछले साल कंपनी ने अपना ऑनलाइन पेमेंट गेटवे पेजिप्पी जो कि वर्ष 2013 में लॉन्च किया था बंद कर दिया है। मई 2013 में कंपनी ने फ्लाइट जो कि ऑनलाइन म्यूजिक स्ट्रीमिंग बिजनेस था उसे भी मात्र 15 महीने में बंद कर दिया था। और अब ई-बुक्स बाजार से भी विदा ले लिया है। ईबुक्स की बात की जाए तो फ्लिपकार्ट की यह सेवा किंडल की ई-बुक रीडर एप के जैसी थी जिसमें यूजर्स टैक्स्ट हाइलाइटिंग, टेक नोट्स, बुकमार्क और साथ ही डिक्शनरी की सुविधा भी दी हुई थी ताकि पढ़ते वक्त एप को बंद न करना पड़े। बुक्स इस तरह बेची जाती थीं ताकि खरीदी हुई बुक कोई भी कॉपी, ई-मेल, इमेज सेव या शेयर न कर सके। हालाकि सोशल प्लेटफॉर्म पर यूजर्स को 140 केरैक्टर तक शेयर करने की अनुमति थी।