नई दिल्ली। ऑनलाइन रिटेलर्स मसलन फ्लिपकार्ट, अमेजन और स्नैपडील ने एक साथ मिलकर जीएसटी कानून के मसौदे में स्रोत पर कर कटौती (टीसीएस) नियमों पर चिंता जताई है। टीसीएस के तहत ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस में विक्रेता को किए जाने वाले भुगतान का एक हिस्सा काटकर उसे सरकार के पास जमा कराना होगा।
सालाना 400 करोड़ रुपए फंसने का डर
- कंपनियों का कहना है कि इससे सालाना 400 करोड़ रुपए की राशि फंस जाएगी।
- इससे दुकानदार ऑनलाइन बिक्री से हतोत्साहित होंगे।
- जीएसटी कानून के इस आदर्श मसौदे को इस महीने के अंत तक अंतिम रूप दिया जाना है।
फ्लिपकार्ट के सह संस्थापक सचिन बंसल ने फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा, हमारा मानना है कि हमने पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में उल्लेखनीय अंतर पैदा किया है। सैंकड़ो और हजारों ऑनलाइन विक्रेता हैं और इनमें से कई उद्यमी हैं। कुछ ऑफलाइन रिटेलर हैं।
बंसल ने कहा कि ई-कॉमर्स उद्योग का मानना है कि जीएसटी आगे की सोच वाली कर पहल है और इसका क्षेत्र पर बदलाव लाने वाला प्रभाव होगा।
बंसल ने कहा कि टीसीएस एक मुद्दा है। लेकिन हमारा अनुमान है कि इससे करीब 400 करोड़ रुपए की पूंजी फंसेगी, जो विक्रेता को नहीं मिलेगी। इससे कार्यशील पूंजी कम होगी। ऐसे में विक्रेता ऑनलाइन आने से हिचकेंगे।
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