नोटबंदी के 5 साल हुए पूरे, जानिये काले धन पर रोक में कितनी मिली कामयाबी
2016-17 की सालाना रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जानकारी दी थी कि देश में नोट बंदी के 500 और 1000 नोट का 99 प्रतिशत हिस्सा बैंक में वापस आ गया है।
नई दिल्ली। नोट बंदी के आज 5 साल पूरे हो गये हैं। मोदी सरकार के द्वारा लिये गये सबसे बड़े फैसलों में से एक नोटबंदी के लिये जिस वजह को प्रमुख आधार बताया गया था वो था कालेधन पर लगाम। दरअसर सरकार का मानना था कि देश में भ्रष्टाचारियों ने बड़े नोट के रुप में काफी बड़ी रकम छुपा रखी है नोट बंदी के साथ इस रकम को पकड़ने में मदद मिलेगी। बीते साल भी प्रधानमंत्री ने अपने एक भाषण मे कहा था कि नोटबंदी की वजह से कालेधन पर लगाम लगाने में मदद मिली है। जानिये अपराध और काले धन पर लगाम लगाने में नोटबंदी का कितना असर रहा।
कितना काला धन आया पकड़ में
नोटबंदी के बाद 2016-17 की सालाना रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जानकारी दी थी कि देश में नोट बंदी से पहले 15.44 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 500 और 1000 रुपये के नोट चलन में थे। इसमें से 15.28 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट 30 जून 2017 तक रिजर्व बैंक के पास वापस जमा कराये जा चुके थे। ये आंकड़ा करीब 99 प्रतिशत था, वहीं डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक और नेपाल सेंट्रल बैंक में रखे कुछ नोट तकनीकी वजहों से इस आंकड़े में शामिल नहीं किये गये। यानि सिस्टम में वापस न आने वाले धन का आंकड़ा किसी भी स्थिति में 16 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं था। सरकार ने इसके लिये कभी आधिकारिक अनुमान नहीं दिया लेकिन अधिकारियों के स्तर पर माना जाता था कि देश में काला धान 5 लाख करोड़ के करीब हो सकता है।
आखिर काले धन पर क्यों गलत हुए अनुमान
सरकार लगातार कहती रहती है कि नोटबंदी से काले धन को वापस लाने और रोक लगाने में मदद मिली है। लेकिन सिस्टम में वापस लौटने वाली रकम के आंकड़ों से विपक्षी दल इन दावों को गलत बताते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि गलती कहां पर हुई। कुछ जानकार इसके लिये नियमों में कमी को एक बड़ी वजह मानते हैं, और संकेत देते हैं कि संभव है कि कालधन जमा करने वालों ने नियमों में कमियों का फायदा उठाया है। आयकर विभाग के सर्वे में ऐसे करीब 18 लाख खाते शक के दायरे में आये जिसमें नोटबंदी के बाद 500 और 1000 के नोट जमा किये गये। इन खातों में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की रकम जमा की गयी जिनका कुल मूल्य 4.2 लाख करोड़ रुपये के करीब थी। ये रकम नोटबंदी के बाद वापस हुई कुल रकम का 25 प्रतिशत है। विभाग इन खातों पर कार्रवाई कर रहा है, हालांकि इस रकम पर टैक्स के रूप में बड़ी रकम मिलने की संभावना नहीं है। सरकार ने कालेधन का खुलाशा करने पर क्षमा योजना का भी ऐलान किया लेकिन इसके बावजूद घोषित काले धन का आंकड़ा अनुमानों के मुताबिक नहीं है और ये 5000 करोड़ के स्तर से नीचे है।