नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि पनामा दस्तावेज लीक में कथित तौर पर विदेशों में बैंक खाते रखने वाले जिन भारतीयों के नाम सामने आये थे उनसे संबंधित पांच जांच रिपोर्ट विशेष जांच दल (एसआईटी) के समक्ष पेश की जा चुकी हैं। ये रिपोर्टें सीबीडीटी, रिजर्व बैंक, वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को मिलाकर बनाई गई बहु-एजेंसी समूह (मैग) ने तैयार की हैं। कोर्ट के न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और अमिताव राय की पीठ को यह जानकारी जांच एजेंसियों ने दी। उन्होंने कहा कि एसआईटी इस मामले को देख रही है।
इस मामले में जन-हित याचिका दायर करने वाले वकील एम.एल. शर्मा ने कोर्ट से कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को तय कर दी। इससे पहले 3 अक्तूबर को शीर्ष अदालत को आर्थिक मामले विभाग ने बताया था कि स्विस प्रशासन द्वारा कोई सूचना नहीं दिए जाने के बावजूद 8,186 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति को कर दायरे में लाया गया।
- केन्द्र ने पनामा दस्तावेज लीक मामले में अदालत की निगरानी में सीबीआई की जांच किए जाने संबंधी जनहित योचिका को खारिज करने का आग्रह किया है।
- केन्द्र ने कहा है कि कर चोरी करने पर 159 मामलों में 1,282 करोड़ रुपए का कर लगाया गया है।
- केन्द्र ने बताया, 75 मामलों में अब तक मुकदमे के लिए 164 शिकायतें दायर की गई हैं।
- शीर्ष अदालत द्वारा कालेधन पर गठित की गई एसआईटी को इन सभी जांच कार्यों के बारे में बराबर अवगत कराया जा रहा है।
वित्त मंत्रालय ने अधिवक्ता शर्मा की उस अंतरिम याचिका में लगाये गए आरोपों का जवाब देने से भी इनकार कर दिया। इसमें मंत्रालय को यह निर्देश देने को कहा गया है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को अगले आदेश तक पूंजी बाजार से अपना धन नहीं निकालने देना चाहिए। ये विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक पार्टिसिपेटरी नोट के जरिए भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं।
Latest Business News