Between the lines: दुनिया की टॉप रेटिंग एजेंसियों ने ऐसे पढ़ा भारत का बजट, बताई शेयर बाजार में निवेश की रणनीति
लेकिन हम आपको दुनिया के पांच बड़े ग्लोबल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन और बैंकर्स की राय और इसका शेयर बाजार पर क्या असर होगा, ये बताने जा रहे है।
नई दिल्ली। आम बजट 2016-17 पेश हो चुका है। सभी अर्थशास्त्री, रेटिंग एजेंसियां और इंडस्ट्री के दिग्गज बजट का विशलेषण कर अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले उसके प्रभाव को भी बता चुके हैं। लेकिन हम आपको पांच बड़े ग्लोबल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन और बैंकर्स की राय और इसका शेयर बाजार पर क्या असर होगा, ये बताने जा रहे है। कुछ फर्म ने फिसकल डेफीसिट लक्ष्य को पाने के लिए विनिवेश और टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की बिक्री पर अधिक निर्भरता को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना कि बजट में ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा कदम नहीं उठाए गए। इस रिपोर्ट में पढ़िए बाजार के किस सेक्टर पर बजट का होगा कितना असर।
कंज्यूमर, इंडस्ट्री व रियल एस्टेट के लिए पॉजीटिव: HSBC
एचएसबीसी ने कहा कि बजट में ग्रोथ और फिसकल प्रूडेंस में संतुलन बनाने की कोशिश की गई है, जो इक्विटी और बांड के लिए सकारात्मक है। बैंक के मुताबिक कंज्यूमर, इंडस्ट्री और रियल एस्टेट के लिए यह बजट पॉजिटिव है, जबकि पब्लिक सेक्टर बैंक और टेलीकॉम कंपनियों के लिए निगेटिव है। इसके अलावा बाजार की चाल कंपनियों के रिजल्ट पर निर्भर करेगी। अगली तिमाही में कंपनियों के रिजल्ट कमजोर रहने की उम्मीद है।
दूसरी छमाही में आ सकती है बाजार में तेजी: बीएनपी पारिबास
बीएनपी पारिबास ने बजट को लेकर कहा कि राजकोषीय अनुशासन और कम सरकारी उधारी कार्यक्रम सकारात्मक है। लेकिन छोटी अवधि में शेयर बाजार में गिरावट जारी रह सकती है। हालांकि साल की दूसरी छमाही के दौरान बाजार में तेजी आने की उम्मीद है। बजट में कॉरपोरेट अर्निंग्स एनवायरनमेंट को सुधारने के लिए कोई खास कदम नहीं उठाए गए हैं। बजट की घोषणाओं से एनबीएफसी, रियल एस्टेट, डाउनस्ट्रीम ऑयल और सीमेंट सेक्टर को फायदा होगा। वहीं टेलीकॉम, ऑटोमोबाइल, अपस्ट्रीम तेल और ज्वैलरी सेक्टर पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है।
बजट का बाजार पर नहीं होगा असर: UBS
यूबीएस ने कहा कि सरकार ने बजट में ग्रोथ बढ़ाने में मदद करने वाली रियायतों की बजाये राजकोषीय स्थिति मजबूत करने पर जोर दिया है। भारत में राजकोषीय घाटा की स्थिति इसलिए भी चिंतापूर्ण है, क्योंकि यह पूरी तरह से विनिवेश और टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की बिक्री पर निर्भर है। यूबीएस के मुताबिक बाजार पर बजट से ज्यादा ग्लोबल संकेतों का असर होगा। 2016-17 का आम बजट इंफ्रास्ट्रक्चर और कैपिटल गुड्स के लिए नकारात्मक है।
सरकार ने ग्रोथ की बजाये मैक्रो स्टेबिल्टी को चुना: नोमुरा
नोमुरा ने बजट को लेकर अपने विश्लेषण में कहा कि सरकार ने ग्रोथ के बजाये मैक्रो स्टेबिल्टी को चुना है। स्टेबिल्टी पर फोकस बढ़ने से भारतीय मार्केट अन्य उभरते बाजारों से ज्यादा आकर्षक रहेगा। नोमुरा ने कहा कि सिर्फ बजट से बाजार में कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आ रहा है। गुड्स एंड सर्विस टैक्स, बैंकरप्सी एक्ट और पावर सेक्टर में रिफॉर्म्स से बाजार को दिशा मिलेगी। दुपहिया वाहन, एफएमसीजी, रोड, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और प्राइवेट बैंक के लिए यह बजट अच्छा है।
बजट से रुपए को मिलेगा सहारा: स्टैंडर्ड चार्टर्ड
स्टैंडर्ड चार्टर्ड के मुताबिक वोलेटाइल ग्लोबल एनवायरनमेंट में सरकार फिसकल-डेफिसिट लक्ष्य को पाने की कोशिश कर रही है, यह अच्छा संकेत है। बजट में की गई घोषणाओं की वजह से डॉलर के मुकाबले रुपए में बड़ी गिरावट की संभावना कुछ कम हुई है। आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, जिससे बाजार को सपोर्ट मिलेगा।