रिटायरमेंट की प्लानिंग के वक्त होती हैं यह पांच सामान्य गलतियां, आप न दोहराएं इन्हें
रिटायरमेंट की प्लानिंग का पहला कदम है कि आप अपने रिटायरमेंट के बारे में सोचें। इसके बाद इसकी योजना बनाए, उस पर काम करें।
नई दिल्ली। भले ही आपका रिटायरमेंट अभी बहुत दूर हो, लेकिन क्या आप आज यह सोच सकते हैं कि रिटायरमेंट के बाद आपका जीवन कैसे चलेगा। रिटायरमेंट की प्लानिंग का पहला कदम है कि आप अपने रिटायरमेंट के बारे में सोचें। इसके बाद इसकी योजना बनाए, उस पर काम करें। यहां ऐसी कुछ गलतियां हैं, जिन्हें अक्सर लोग रिटायरमेंट प्लानिंग करते वक्त दोहराते हैं। हम आपको इन्हीं गलतियों और उनसे बचने के उपाय यहां बताने जा रहे हैं।
गलती नंबर 1: रिटायरमेंट की योजना न बनाना
रिटायरमेंट की योजना बनाने से आपको यह पता करने में मदद मिलेगी कि आप क्या चाहते हैं, आपको कितनी बचत करने की जरूरत है और आप अपने लक्ष्यों को कैसे हासिल करेंगे। यहां कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनके उत्तर देकर आप अपने रिटायरमेंट लक्ष्यों का पता लगा सकते हैं।
रिटायरमेंट के बाद मैं किस तरह की लाइफस्टाइल चाहता हूं?
क्या मैं रिटायरमेंट के बाद भी काम कर पाऊंगा?
मेरे वर्तमान स्वास्थ्य और मेरे परिवार का उस पर आधारित चिकित्सा व्यय होगा?
मेरी परिवार के प्रति क्या प्रतिबद्धता है? क्या मेरा जीवनसाथी और बच्चे मुझ पर निर्भर हैं?
क्या मैं घर का किराया या होम लोन भरता रहूंगा या क्या मैं अपना घर चाहता हूं?
क्या मेरी कोई यात्रा योजना होगी? और मैं कितनी लंबी और कहां यात्रा करना चाहूंगा?
क्या मेरी कोई रुचि होगी जिस पर पैसा खर्च होगा?
सुझाव: अपनी रिटायरमेंट योजना को बनाने का सबसे अच्छा रास्ता है कि आप यह सोचें कि आप रिटायरमेंट के दिन कैसे गुजारना चाहते हैं। आप यह समझने की कोशिश कीजिए कि आप अपने को उस स्थिति के लिए कैसे तैयार कर सकते हैं।
गलती नंबर 2: रिटायरमेंट के वक्त धन की आवश्यकता का पता न होना
श्रीमान गुप्ता 55 वर्ष के हैं और उन्होंने 60 साल की उम्र में रिटायरमेंट लेने की योजना बनाई है। उन्होंने अब तक रिटायरमेंट के लिए 50 लाख रुपए बचाए हैं। हालांकि, वर्तमान जीवनशैली को भविष्य में भी बनाए रखने के लिए उन्हें कम से कम तीन करोड़ रुपए की आवश्यकता है। अब उनके रिटायरमेंट में केवल पांच साल बचे हैं और इतने कम समय में 2.5 करोड़ रुपए जुटाना असंभव है। इसलिए गुप्ता जी अब परेशान हैं।
सुझाव: यहां इसके लिए कई जटिल जोड़ भाग हैं, लेकिन एक सामान्य गणना है जो आपको इस जादुई आंकड़े तक आसानी से पहुंचा सकती है। रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए एक ही सबसे अच्छा गणित है और वह है जितनी जल्दी आप शुरुआत करेंगे, उतना ज्यादा बचा सकेंगे।
गलती नंबर 3: पर्याप्त राशि के साथ जल्दी शुरुआत न करना
गुप्ता जी और सिन्हा जी दोनों ने एक जैसी निवेश प्रक्रिया अपनाई। दोनों ही हर साल 10 हजार रुपए निवेश करते थे। हालांकि सिन्हा जी ने 25 साल की उम्र में निवेश करना शुरू किया था और उन्होंने 35 साल की उम्र होने पर इसे बंद कर दिया। वहीं गुप्ता जी ने 35 साल की उम्र में निवेश करना शुरू किया और वह तब कि निवेश करते रहे, जब तक कि वह 65 वर्ष के नहीं हो गए। दोनों ही 65 साल की उम्र में रिटायर हुए। इस समय गुप्ता जी को जितनी राशि मिली उससे ढाई गुना ज्यादा राशि सिन्हा जी को मिली, जबकि उन्होंने केवल 10 साल तक ही निवेश किया था और गुप्ता जी ने 30 साल लगातार निवेश किया। यह चक्रवृद्धि ब्याज की ताकत वजह से हुआ। उदाहरण के लिए, आपने 10,000 रुपए जिनवेश किया जिस पर आपको पहले साल 10 फीसदी ब्याज दर के हिसाब से 1,000 रुपए ब्याज मिला। दूसरे साल आपने 1100 रुपए ब्याज हासिल किया। एक साल में हासिल किया गया ब्याज अगले साल अतिरिक्त ब्याज देगा। इस तरह चक्रवृद्धि ब्याज दर आपके धन को बढ़ाता जाता है।
सुझाव: चक्रवृद्धि ब्याज का प्रभाव तभी प्रभावी होता है, जब आप अपने धन को बढ़ने के लिए ज्यादा समय देते हैं। आप जल्दी बचत करना शुरू करते हैं, तो आप जल्दी रिटायर भी हो सकते हैं।
गलती नंबर 4: अपने रिटायरमेंट प्लान में आकस्मिक खर्च जैसे स्वास्थ्य देखभाल खर्च को शामिल न करना
आपके रिटायरमेंट वाले दिनों में, स्वास्थ्य खर्च एक बहुत ही सामान्य आकस्मिक खर्च होगा जिसके लिए आपको तैयार रहना होगा। केवल एक मेडिकल बिल आपकी पूरी बचत को खत्म कर सकता है। आप यह जरूर सुनिश्चित करें कि आपके पास एक आपतकालीन फंड हो जो वृद्धावस्था में आपके मेडिकल खर्चों की पूर्ति कर सके।
सुझाव: जब आप अपने रिटायरमेंट संपत्ति की योजना बनाएं तो यह सुनिश्चित करें कि रिटायरमेंट के बाद भी उसमें मेडिकल इंश्योरेंस और स्वास्थ्य देखभाल के खर्च शामिल हों।
गलती नंबर 5: स्मार्ट इन्वेस्टमेंट निर्णय न लेना
गुप्ता जी ने 9 फीसदी रिटर्न का वादा करने वाली बैंक एफडी में निवेश किया और गुप्ता जी ने रिटर्न पर पड़ने वाले टैक्स के भार की कोई गणना ही नहीं की। चूंकि वह 30 फीसदी दर वाले टैक्स के दायरे में आते हैं, तो उनका शुद्ध रिटर्न घटकर 6 फीसदी रह गया, जो महंगाई दर से काफी कम था।
सुझाव: कंपनी शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए जो लंबी अवधि में आपको महंगाई दर से लड़ने वाला रिटर्न (14-16 फीसदी टैक्स के बाद) देते हैं। यह आपको तेजी से रिटायरमेंट संपत्ति जमा करने में मदद करेंगे और इसमें आप बहुत कम राशि से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं।