नई दिल्ली। काला धन छुपाना और मुश्किल होने वाला है। सरकारी ने अपनी एजेंसी फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) के अधिकार बढ़ा दिए हैं। अब एफआईयू संदिग्ध लेनदेन पर 72 घंटों में रिपोर्ट तैयार कर सकेगी। साथ ही एफआईयू दूसरी लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों के गोपनीय दस्तावेजों का भी इस्तेमाल कर पाएगी। इससे पहले किसी एजेंसी से अगर फाइनेंशियल ट्रांजक्शन या फिर ऐसी इकाइयों के बारे में कोई जरूरी जानकारी लेनी होती थी, तो इसमें 15 से 20 दिन का समय लगता था।
इलेक्ट्रॉनिक मोड में बदला एफआईयू
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाली फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट डेटा के आदान प्रदान के लिए अब पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक मोड में बदल चुकी है। पहले वह डेटा आधारित कामकाज करती थी। एक नवंबर से एफआईयू, सभी एनफोर्समेंट एजेंसियों जैसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, डीआरआई और इंटेलिजेंस ब्यूरो और अन्य से डेटा का लेन-देन इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कर सकेगी।
कालेधन के लिए सबसे दमदार एजेंसी एफआईयू
कालेधन पर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने अपनी पहली रिपोर्ट में सरकार से एफआईयू की क्षमता बढ़ाने का सुझाव दिया था, जिससे यह समय पर प्रो-एक्टिव तरीके से जांच एजेंसियों की मदद कर सके। एफआईयू एक राष्ट्रीय एजेंसी है जिसका काम संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर), नकद लेनदेन रिपोर्ट और जाली करेंसी रिपोर्ट का एनालिसिस करना है। इसके अलावा बैंकों और अन्य वित्तीय इकाइयों से मिली जानकारी को विभिन्न जांच एजेंसियों को एक तय रिपोर्ट के रूप में पहुंचाना है। इसके अलावा उसके पास मनी लॉड्रिंग रोधक कानून (पीएमएलए) के चुनिंदा प्रावधानों के तहत डिफॉल्ट करने वाली एजेंसियों पर सजा देने का भी अधिकार है।
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