नई दिल्ली। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि उसने कर्ज की लगत बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल को आर्थिक वृद्धि के लिए जोखिम बताया है। फिच ने 2019-20 के लिए वृद्धि दर का पूर्वानुमान 7.5 प्रतिशत तय किया है।
फिच ने अपने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा है कि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर मार्च के 7.3 प्रतिशत के पूर्वानुमान से संशोधित कर 7.4 प्रतिशत कर दी गई है। हालांकि उच्च वित्तीय लागत और कच्चे तेल का बढ़ता दाम वृद्धि की तेजी पर लगाम लगा सकता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2017-18 में 6.7 प्रतिशत तथा जनवरी-मार्च तिमाही में 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। फिच ने कहा कि इस साल एशिया में भारतीय रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा रही है। हालांकि यह गिरावट 2013 के बुरे दौर की तुलना में कम है।
उसने कहा कि भारत का वृहद आर्थिक परिदृश्य 2013 की तुलना में बेहतर है तथा घरेलू सरकारी बांड बाजार में विदेशी निवेश का स्तर कम है लेकिन कच्चे तेल की बढ़ती कीमत, सुधरती घरेलू मांग और विनिर्मित वस्तुओं का निर्यात अच्छा न होने से चालू खाता घाटा बढ़ रहा है।
फिच ने कहा कि बढ़ते व्यापारिक तनाव और राजनीतिक जोखिम के बाद भी निकट भविष्य में वृद्धि की संभावनाएं शानदार बनी हुई हैं। फिच के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन कूल्टन ने कहा कि इस साल वैश्विक व्यापारिक तनाव काफी बढ़ा है लेकिन फिलहाल जो नए शुल्क लगाए गए हैं उनका वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर कोई खास असर नहीं होगा।
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