नई दिल्ली। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.7 फीसदी कर दिया है। रेटिंग एजेंसी ने हालांकि वित्त वर्ष 2015-16 के लिए 7.5 फीसदी वृद्धि दर के अनुमान को बरकरार रखा है।
इससे पहले दिसंबर में फिच ने 2016-17 में भारत की वृद्धि दर 8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। फिच ने सरकार के निवेश खर्च में बढ़ोतरी तथा व्यापक आधार पर बुनियादी सुधार एजेंडा को धीरे-धीरे क्रियान्वित करने के मद्देनजर यह अनुमान लगाया था। अपने ताजा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में फिच ने कहा है कि 2016-17 तथा 2017-18 में ऊंची खर्च योग्य आय, दो साल बाद मानसून सामान्य रहने के उम्मीद और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि से कुछ सुधार देखने को मिलेगा।
फिच ने कहा है कि 2016-17 में वृद्धि दर मामूली बढ़कर 7.7 फीसदी रहेगी, जो 2017-18 में बढ़कर 7.9 फीसदी पर पहुंच जाएगी। फिच ने मार्च, 2016 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में 7.5 फीसदी की वृद्धि दर के अनुमान को कायम रखा है। फिच ने कहा कि बुनियादी सुधार एजेंडा को धीरे-धीरे क्रियान्वित किए जाने से ऊंची वृद्धि को समर्थन मिलेगा। हालांकि, कुछ बड़े सुधार मसलन भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक और वस्तु एवं सेवा कर विधेयकों पर अभी प्रगति नहीं हुई है।
वैश्विक वृद्धि के बारे में फिच ने कहा कि व्यापक आधार पर वृद्धि दर के अनुमान में कमी की गई है, लेकिन यह वैश्विक मंदी की स्थिति नहीं है। वैश्विक स्तर पर 2016 में वृद्धि दर ढाई फीसदी रहेगी। 2015 में भी यह इतनी ही रही थी।
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