नई दिल्ली। वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले 7.4 प्रतिशत था। फिच ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि नोटबंदी के बाद देश की आर्थिक गतिविधियों में अस्थाई अवरोध पैदा होंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने और उनके स्थान पर नए नोट लाने की वजह से जो नकदी संकट पैदा हुआ है उससे अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा। इस अमेरिकी एजेंसी ने वित्त वर्ष 2017-18 व 2018-19 के लिए भी अपने वृद्धि दर अनुमान को संशोधित कर क्रमश: 7.7 प्रतिशत व 8 प्रतिशत किया है।
यह भी पढ़ें: जियो के प्रवेश से एक साल में दरों में आ सकती है 10-15 फीसदी की गिरावट: फिच
- फिच ने ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक-नवंबर रिपोर्ट में कहा है कि आरबीआई द्वारा बड़ी राशि के बैंक नोटों को चलन से बाहर करने के आश्चर्यजनक कदम के मद्देनजर आर्थिक गतिविधियों में अस्थाई व्यवधान को देखते हुए भारतीय वृद्धि दर अनुमान में कमी की गई है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि ढांचागत सुधार एजेंडे के क्रमिक कार्यान्वयन से उच्च वृद्धि में योगदान की उम्मीद है।
- खर्च करने योग्य आय व सरकारी कर्मचारियों के वेतन में लगभग 24 प्रतिशत बढ़ोतरी से भी इसे बल मिलेगा।
- फिच ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं कि ग्राहकों के पास खरीदारी के लिए नकदी नहीं है और किसान रबी फसल के लिए बीच और उर्वरक नहीं खरीद पा रहे हैं।
- बैंकों के बाहर लाइन में घंटों खड़े रहने से जनरल प्रोडक्टिविटी भी प्रभावित हो रही है। यदि नकदी समस्या ज्यादा लंबे समय तक बनी रहती है तो इसका जीडीपी ग्रोथ पर असर और भी बढ़ सकता है।
- फिच ने कहा है जो लोग अनएकाउंटेड मनी रखते हैं वह नए नोट से बदलकर या अन्य विकल्प जैसे सोना खरीदकर इसे फिर से स्टोर कर रहे हैं।
- फिच ने कहा कि कैश ट्रांजैक्शन को खत्म करने के लिए लोगों को कोई भी नया इंसेन्टिव नहीं दिया गया है और अवैध लोग पहले की तरह फिर से अपना काम शुरू कर सकते हैं।
Latest Business News