एजेंसी ने यह रेटिंग ऐसे समय में दी है जबकि केंद्र सरकार व अन्य टिप्पणीकार देश की मजबूत आर्थिक बुनियादी, राजनीतिक स्थिरता और अनेक सुधारों का हवाला देते हुए फिच व अन्य एजेंसियों द्वारा दी गई रेटिंग में सुधार पर जोर दे रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि उक्त तथ्य भारत को दी जाने वाले रेटिंग में भी परिलक्षित होने चाहिए। फिच ने एक नोट में कहा है, सरकारी बांडों की बीबीबी- रेटिंग में मजबूत मध्यावधि वृद्धि पदिृश्य तथा अनुकूल बाह्य संतुलनों के साथ साथ कमजोर राजकोषीय स्थिति तथा कठिन व्यावसायिक वातावरण के बीच बीच संतुलन साधने वाली है।
फिच ने कहा है, हालांकि, ढांचागत सुधार एजेंडे के लगातार विस्तार व कार्यानवयन के साथ कारोबार के माहौल में क्रमिक सुधार की संभावना है। इसके अनुसार सरकार लगभग तीन साल से अपने महत्वाकांक्षी सुधार एजेंडे का लगातार कार्यान्वयन कर रही है और सतत सुधारों को प्रतिबद्ध है। एजेंसी के अनुसार, सुधार कार्यक्रम का निवेश व वास्तविक जीडीपी वृद्धि पर असर इस बात पर निर्भर करेगा कि इसका कार्यान्वयन कैसे किया जाता है और सरकार अब भी कमजोर व्यापारिक माहौल को बेहतर बनाने के लिए अपने मजबूत अभियान को कितना जारी रख पाती है।
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