नई दिल्ली। राजस्व संग्रह उम्मीद से कम रहने के कारण केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में नवंबर माह के अंत तक बजट में तय वार्षिक लक्ष्य के मुकाबले 114.80 प्रतिशत पर पहुंच गया। गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में 6.24 लाख करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा रहने का अनुमानित लक्ष्य रखा है।
सरकार की कुल प्राप्तियों के मुकाबले कुल खर्च अधिक होने पर राजकोषीय घाटा होता है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-नवंबर अवधि में यह 7.16 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। इससे लोक वित्त की खराब स्थिति का पता चलता है। हालांकि, पिछले वित्त वर्ष में भी नवंबर अंत तक राजकोषीय घाटा बजट लक्ष्य की तुलना में 112 प्रतिशत तक पहुंच गया था।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के आम बजट में राजकोषीय घाटा उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य तय किया है। पिछले वित्त वर्ष में यह जीडीपी का 3.53 प्रतिशत रहा था।
महालेखा नियंत्रक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018-19 के दौरान अप्रैल से नवंबर तक कुल राजस्व संग्रह 8.70 लाख करोड़ रुपए रहा, जो कि पूरे वर्ष के बजट अनुमान का 50.40 प्रतिशत है। पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि में राजस्व संग्रह बजट आकलन का 53.10 प्रतिशत रहा था। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान कुल 17.25 लाख करोड़ रुपए राजस्व संग्रह का बजट लक्ष्य रखा है।
आलोच्य अवधि के दौरान कुल कर संग्रह बजट अनुमान का 49.40 प्रतिशत रहा है, जो कि पिछले वित्त वर्ष में 57 प्रतिशत रहा था। आंकड़ों के अनुसार, नवंबर अंत तक सरकार का कुल खर्च 16.13 लाख करोड़ रुपए यानी बजट अनुमान का 66.10 प्रतिशत रहा है। हालांकि, प्रतिशत में पिछले साल इस दौरान खर्च अधिक रहा था।
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