दाहेज। अमेरिका के बाद अब रूस से भी भारत को एलएनजी मिलने लगी है। भारत दुनिया भर में तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का चौथा बड़ा खरीदार है और अपने आयात के स्रोता का विस्तार कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि रूसी कंपनी गैजप्रोम से एलएनजी लेकर उसका ‘एलएनजी कानो’ पोत सोमवार सुबह पेट्रोनेट एलएनजी के गैस आयात टर्मिनल पर पहुंच गया। गैजप्रोम ने नाइजीरिया से 3,400 अरब ब्रिटिश थर्मल यूनिट (टीबीटीयू) गैस की यह पहली खेप भेजी है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में सोमवार को एलएनजी कार्गो की खेप पेट्रोनेट एलएनजी टर्मिनल पर पहुंची।
प्रधान ने इस अवसर पर कहा कि भारत की ऊर्जा यात्रा में आज के दिन को ‘स्वर्णिम दिवस’ के रूप में याद किया जाएगा। हमने सबसे पहले कतर से आने वाले एलएनजी के दाम को लेकर नये सिरे से बातचीत की, उसके बाद आस्ट्रेलिया की आपूर्ति पर काम किया और अब रूस से नई शर्तों के तहत एलएनजी की आपूर्ति शुरू हुई है।
उन्होंने कहा कि भारत रूस से 20 साल में करीब 25 अरब डालर की एलएनजी का आयात करेगा। उन्होंने बताया कि गैजप्रोम के एलएनजी के दाम काफी प्रतिस्पर्धी दर पर उपलब्ध हैं। चार साल पहले हम केवल कतर से ही एलएनजी का आयात कर रहे थे लेकिन आज हमें आस्ट्रेलिया, अमेरिका और रूस से एलएनजी प्राप्त हो रही है।
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