नई दिल्ली: भारत की चावल निर्यात क्षमता को बढ़ावा देने के लिए ’लाल चावल’ की पहली खेप को आज संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए रवाना कर दिया गया। 'लाल चावल' असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में उगाया जाता है, बिना किसी रासायनिक उर्वरक के उपयोग के। चावल की एक किस्म को 'बाओ-धान' कहा जाता है, जो असमिया भोजन का एक अभिन्न अंग है। एक्सपोर्ट की गई इन चावल की कंसाइंमेंट को एपीईडीए अध्यक्ष डॉ एम अंगमुथु ने हरियाणा के सोनीपत में से अमेरिका के लिए रवाना किया। इन 'लाल चावल' के निर्यात में वृद्धि के साथ यह ब्रह्मपुत्र बाढ़ के मैदानी इलाकों के किसान परिवारों की आय में वृद्धि लाएगा।
एपीईडीए विभिन्न हितधारकों के साथ सहयोग के माध्यम से चावल के निर्यात को बढ़ावा देता है। सरकार ने APEDA के अन्तर्गत चावल निर्यात संवर्धन मंच (आरईपीएफ) की स्थापना की थी। आरईपीएफ चावल उद्योग, निर्यातकों, APEDA, वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़ और ओडिशा सहित प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों के निदेशकों का प्रतिनिधित्व करता हैं।
2020-21 में अप्रैल-जनवरी अवधि के दौरान गैर-बासमती चावल के शिपमेंट में एक प्रभावशाली वृद्धि देखी गई है। अप्रैल-जनवरी 2021 के दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात 26,058 करोड़ रुपये (3506 यूएस डॉलर मिलियन), जबकि अप्रैल-जनवरी 2020 के दौरान यह 11,543 करोड़ रुपये (1627US $ मिलियन) था। गैर-बासमती के निर्यात में रूपेटर्म में 125 फीसदी और 115 फीसदी डॉलर की वृद्धि देखी गई है।
चावल के निर्यात में तेज वृद्धि एक ऐसे चरण के दौरान देखी गई है जब विश्व स्तर पर COVID19 महामारी ने आपूर्ति में कई वस्तुओं को बाधित कर दिया था। सरकार ने सभी COVID संबंधित सुरक्षा उपायों को लेते हुए चावल के निर्यात को सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए और इसे जारी रखा था। APEDA के अध्यक्ष एम अंगामुथु ने कहा, 'हमने COVID19 में सैद्धांतिक और स्वास्थ्य चुनौतियों के कारण सुरक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करने के संदर्भ में कई उपाय किए और चावल के निर्यात को जारी रखा था।'
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