नयी दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने मंगलवार को कहा कि डिजिटल धोखाधड़ी रोकने में वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। कोविड महामारी के दौरान डिजिटल धोखाधड़ी बढ़ी हैं। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) द्वारा आयोजित वैश्विक फिनटेक फेस्ट 2021 में शंकर ने कहा कि डिजिटल व्यवस्था की पहुंच काफी हद तक शहरी और महानगरों में सीमित हैं। इसे पूरे देश में आगे बढ़ाये जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘आबादी के एक बड़े हिस्से तक अभी भी बैंक सुविधाओं और स्मार्टफोन की पहुंच नहीं हैं। हमें इन तक पहुंच बढ़ाने के लिए तकनीकी समाधान की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि आरबीआई ने ‘सैंडबॉक्स’ व्यवस्था (सीमित दायरे में उत्पादों का वास्तविक तौर पर परीक्षण) के जरिये कई विकल्पों को चिन्हित किया है। डिप्टी गवर्नर ने कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियां डिजिटल धोखाधड़ी रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान डिजिटल धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ी हैं। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि धोखाधड़ी करने वाले वित्तीय सेवा उद्योग में सेंध लगाने को लेकर अपने प्रयास तेज कर रहे हैं। शंकर ने कहा, ‘‘ हमें डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर अपराध रोकने पर ध्यान देने की जरूरत है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नवप्रवर्तन आर्थिक वृद्धि को गति देने में मदद करें। इसके लिये जरूरी है कि नियामक और अन्य संबंधित पक्ष अपनी-अपनी भूमिका प्रभावी तरीके से निभाएं।
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