नई दिल्ली। चीन सहित अन्य देशों से आने वाले सस्ते उत्पादों से घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए सरकार प्रस्तावित सीमा समायोजन कर (बीएटी) को लागू करने पर विचार कर रही है। केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने खुद वित्त मंत्रालय से प्रस्तावित सीमा समायोजन कर (बीएटी) को लगाने का आग्रह किया है।
प्रधान ने मंगलवार को बताया कि इस कर के लागू होने से स्थानीय विनिर्माताओं को समान अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। प्रस्तावित बीएटी आयातित उत्पादों पर सीमा शुल्क के अतिरिक्त लगाया जाएगा। इससे आयातित उत्पादों का दाम स्थानीय स्तर पर विनिर्मित उत्पादों के बराबर हो सकेगा। भारतीय उद्योग काफी लंबे समय से सरकार से घरेलू करों जैसे बिजली शुल्क, ईंधन शुल्क, स्वच्छ ऊर्जा उपकर, मंडी कर, रॉयल्टी, जैव विविधता शुल्क आदि को लेकर शिकायत करता रहा है। ये शुल्क घरेलू स्तर पर उत्पादित उत्पादों पर लगाए जाते हैं। लेकिन कई तरह के आयातित सामान पर उनके संबंधित देशों में ये शुल्क नहीं लगाए जाते, जिससे उनके उत्पादों को भारतीय बाजार में मूल्य के मोर्च पर लाभ मिलता है।
प्रधान ने कहा कि जहां तक घरेलू इस्पात क्षेत्र को समर्थन का सवाल है, सरकार इस दिशा में पहले ही काम कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में इस्पात की काफी बड़ी स्थापित क्षमता है और देश में उसी के अनुरूप उत्पादन भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारत बड़ी इस्पात उत्पादन क्षमता के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात विनिर्माता है। भारत की स्थापित उत्पादन क्षमता 15 करोड़ टन है, और यहां 11 करोड़ टन इस्पात का उत्पादन होता है।
भारत जल्द 15 करोड़ टन उत्पादन के स्तर को प्राप्त कर लेगा।
प्रधान ने कहा कि हम विशेष इस्पात और रक्षा तथा अंतरिक्ष परियोजनाओं के लिए भी इस्पात का उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने वित्त मंत्रालय से सीमा समायोजन कर लगाने का आग्रह किया है।
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