नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों को अपनी शाखाओं को सुसंगत बनाने तथा ऐसे खर्चों में कटौती करने को कहा है, जिनसे बचा जा सकता है। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यह निर्देश विशेषरूप से नेशनल इंश्योरेंस, ओरियंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के लिए हैं, जिससे इन कंपनियों की वित्तीय सेहत सुधारी जा सके। इससे पहले इसी साल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीनों सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों की विलय की प्रक्रिया को रोक दिया था। तीनों कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया गया था।
सरकार ने इन कंपनियों में 12,450 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की मंजूरी दी थी ताकि ये नियामकीय मानकों को पूरा कर सकें। सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने इन कंपनियों से अपनी शाखाओं को तर्कसंगत करने तथा गेस्ट हाउस जैसे बेवजह के खर्चों में कटौती करने को कहा है। इसके अलावा इन कंपनियों से डिजिटल माध्यम से अपने कारोबार का विस्तार करने को भी कहा गया है।
पूंजी डालने की प्रक्रिया के तहत सरकार ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी की अधिकृत शेयर पूंजी को बढ़ाकर 7,500 करोड़ रुपये करने की अनुमति दी है। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस तथा ओरियंटल इंश्यारेंस कंपनी की अधिकृत पूंजी को 5,000 करोड़ रुपये करने की मंजूरी दी गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई में इन कंपनियों में 12,450 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की मंजूरी दी है। इसमें 2019-20 के दौरान इन कंपनियों को उपलब्ध कराई गई 2,500 करोड़ रुपये की राशि भी शामिल है।
इस साल सरकार इन कंपनियों में 3,475 करोड़ रुपये की पूंजी डाल चुकी है। शेष 6,475 करोड़ रुपये की राशि एक या अधिक किस्तों में डाली जाएगी। सरकार ने 2020-21 के बजट में इन कंपनियों में 6,950 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का प्रावधान किया था।
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