देश की वित्तीय प्रणाली मजबूत, बैंकों की जरूरत से ज्यादा सतर्कता भी ठीक नहीं: RBI गवर्नर
राष्ट्रव्यापी बंद के बाद धीरे-धीरे स्थिति में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा है कि देश की वित्तीय प्रणाली मजबूत है, लेकिन बैंकों को कोविड-19 महामारी और उसके बाद के दौर में जोखिम से बचने के लिए जरूरत से ज्यादा सतर्कता नहीं रखनी चाहिए। द्विवार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) की प्रस्तावना में दास ने लिखा है कि बैंकों और वित्तीय बाजार इकाइयों के लिए इस समय शीर्ष प्राथमिकता अपने पूंजी के स्तर को बढ़ाने तथा मजबूत करने की होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘बदलते परिवेश में जोखिम प्रबंधन मजबूत होना चाहिए, लेकिन जोखिम से दूरी बनाने के जरूरत से अधिक प्रयासों के नतीजे सभी के लिए प्रतिकूल रहेंगे।’’ दास का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि कर्ज बांटने की रफ्तार में गिरावट आई है।
गवर्नर ने कहा, ‘‘भारत की वित्तीय प्रणाली मजबूत है, लेकिन मौजूदा वातावरण में यह भी जरूरी है कि वित्तीय बाजार इकाइयां आगे बढ़कर अपनी पूंजी की स्थिति को बेहतर और मजबूत करें। यह उनके लिए शीर्ष प्राथमिकता है।’’ उन्होंने कहा कि कंपनियों, निवेशकों और उपभोक्ताओं का भरोसा कायम करने के लिए वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता सबसे अनिवार्य है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें निगरानी रखनी होगी और केंद्रित रहना होगा। दास ने कहा कि विभिन्न देशों की सरकारों, केंद्रीय बैंकों तथा सार्वजनिक एजेंसियों ने वित्तीय दबाव को समाप्त करने के लिए समन्वित प्रयास किए और भरोसा कायम किया। इन उपायों से वित्तीय प्रणाली और बाजारों में स्थिरता कायम हुई। हालांकि, उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रणाली और बाजारों का परिदृश्य काफी अनिश्चित है।
महामारी के दौरान शेयर बाजारों में जोरदार उछाल का उल्लेख करते हुए दास ने कहा कि वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट ऐसे समय जारी हुई है कि जबकि वित्तीय बाजारों के कुछ सेग्मेंट तथा वास्तविक क्षेत्र की गतिविधियों में तालमेल टूटता जा रहा है। रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा, ‘‘भारत में यह महामारी वृद्धि दर में गिरावट के दौर में आई है। वैश्विक स्तर पर इसके फैलाव से मांग और आपूर्ति श्रृंखला की स्थिति और खराब हुई है।’’ हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रव्यापी बंद के बाद धीरे-धीरे स्थिति में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। उन्होंने कहा कि आगे चलकर चुनौती वित्तीय प्रणाली की दीर्घावधि की स्थिरता को कायम रखने की होगी। रिकवरी के लिए यह जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोविड से बाद की दुनिया में पिछले कुछ माह के दौरान दी गई रियायतों को सोच-विचार कर वापस लिए जाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। दास ने वित्त प्रदान करने वालों से कहा कि वे अपने कारोबारी मॉडल और संपत्ति बाजार का नए सिरे से आकलन करें जिससे नए ‘सामान्य’ वे खुद को बिना किसी बाधा के ढाल सकें। उन्होंने कहा कि संक्रमण जोखिमों के मद्देनजर निरंतर निगरानी जरूरी है। गवर्नर ने कहा कि सामाजिक दूरी के समय में आईटी मंचों ने बेहतर तरीके से काम किया है और इसमें जो लाभ मिला है उसे और मजबूत किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि साइबर सुरक्षा के मोर्चे पर किसी तरह की नरमी की गुंजाइश नहीं है।