MSME को पैकेज के अनुसार कर्ज वितरित किए जाने पर नजर रखेगा वित्त मंत्रालय:सूत्र
लॉकडाउन की वजह से कर्ज मंजूरी और कर्ज वितरण में अंतर
नई दिल्ली। सरकार के 21 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का प्रभाव तत्काल न हो कर मध्य से लेकर दीर्घकाल में दिखने की चर्चाओं के बीच वित्त मंत्रालय का विश्वास है कि पैकेज की घोषणा के बाद अब आर्थिक गतिविधियां धीरे धीरे जोर पकड़ेंगी और इसमें घरेलू निवेश को अच्छा समर्थन मिलेगा। मंत्रालय के सूत्रों ने यह संकेत दिया है। वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि बैंकों ने जिन आठ लाख करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दी है उसका वितरण जल्द शुरू होगा। इससे कारोबार तेज होने के साथ ही उद्योग निवेश के लिए आगे आयेंगे और कर्ज का उठाव होगा। मंत्रालय इन कर्ज के प्रवाह पर नजर रखेगा
सूत्रों के अनुसार, ‘‘यह सही है कि बैंकों के कर्ज मंजूरी और वितरण के बीच असंतुलन बना हुआ है। यह समय के साथ दूर होगा। आर्थिक गतिविधियां शुरू हो रही है, इसमें कोई समस्या नहीं है। सरकार ने तमाम पक्षों के साथ विस्तृत बातचीत के बाद ही पैकेज को तैयार किया है। इससे घरेलू निवेश को समर्थन मिलेगा।’’ सूत्रों के अनुसार मंत्रालय का पैकेज के क्रियान्यन पर पूरा ध्यान है। सूत्रों ने माना कि लॉकडाउन के चलते गतिविधियां अभी पूरी तरह से जोर नहीं पकड़ पा रही है। श्रमिकों के बड़े पैमाने पर पलायन की वजह से भी कहीं कहीं गतिविधियों को बहाल करने में समय लग सकता है। उन्होंने कहा, मजदूरों के पलायन का आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा। इसके लिये राज्यों को आपस में समन्वय बिठाना होगा और चीजों को संतुलित करना होगा।
कोरोना वायरस के कारण गत 25 मार्च के बाद से देश में लॉकडाउन जारी है। इस दौरान कई चरणों में लॉकडाउन बढ़ाया गया और धीरे धीरे आर्थिक गतिविधियों को खोलने का काम शुरू किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने के लिये 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बाद में पांच किस्तों में इस पैकेज का ब्यौरा दिया। इसमें छोटे उद्योगों के लिये तीन लाख करोड़ रुपये की आपात कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराने और उन्हें बिना गारंटी कर्ज देने की सुविधा की घोषणा की गइ्र। किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के तहत 2 लाख करोड़ रुपये का रियायती कर्ज उपलब्ध कराने की भी पहल की गई। कुछ विश्लषकों का यह मानाना है कि सरकार की ये घोषणा तुरंत कोई असर अर्थव्यवस्था में नहीं दिखेगा अपितु आने वाले दो तीन साल में इनका बेहतर प्रभाव दिखाई देगा। वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि उद्योग एवं व्यापार जगत सहित विभिन्न पक्षों के साथ विस्तृत विचार विमर्श के बाद ही यह पैकेज तैयार किया गया है।