वित्त मंत्रालय का गैर-जरूरी खर्च पर प्रतिबंध, लॉकडाउन के असर से निपटने के लिए फैसला
स्वास्थ्य और जन कल्याण से जुड़े मंत्रालयों के खर्च में कटौती नहीं होगी
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को विभिन्न मंत्रालयों और विभागों पर खर्च को लेकर पाबंदियां लगाईं हैं। कोरोना वायरस संकट के चलते राजस्व बाधाओं को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, औषधि, खाद्य एवं जन वितरण तथा आयुष जैसे कुछ मंत्रालयों को बजट के अनुसार कोष मिलेगा जबकि उर्वरक, डाक, सड़क परिवहन, पेट्रोलियम, वाणिज्य और कोयला जैसे मंत्रालयों में खर्च में कटौती की जाएगी। वित्त मंत्रालय के ज्ञापन के अनुसार व्यय नियंत्रण के मौजूदा दिशानिर्देश की समीक्षा की गयी है।
कोरोना वायरस और उसे रोकने के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ से उत्पन्न मौजूदा स्थिति को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि 2020-21 की पहली तिमाही में सरकार की नकदी स्थिति दबाव में आ सकती है। सरकार के मुताबिक व्यय को नियंत्रित करना तथा मंत्रालय और विभाग विशेष की तिमाही व्यय योजना या मासिक व्यय योजना को नियमन के दायरे में लाना जरूरी है। प्राथमिकता के तहत मौजूदा स्थिति में विभागों और मंत्रालयों को महत्व के हिसाब से श्रेणीबद्ध किया गया है। जो ए श्रेणी के अंतर्गत आएंगे उन्हें मंजूरी योजना के तहत पैसा मिलेगा जबकि बी और सी श्रेणी में आने वाले मंत्रालयों के खर्च में कटौती होगी। ज्ञापन के अनुसार जिन मंत्रालयों को ए श्रेणी में रखा गया है, वे मासिक व्यय योजना (एमईपी) या तिमाही व्यय योजना (क्यूईपी) से निर्देशित होंगे। जबकि बी श्रेणी के मंत्रालयों और विभागों का खर्च 2020-21 के उनके बजट अनुमान का पहले महीने के लिये 8-8 प्रतिशत और पहली तिमाही के अंतिम दो महीनों के लिये 6-6 प्रतिशत होगा।
सी श्रेणी के लिये विभागों को अपना व्यय 2020-21 के बजट अनुमान का 15 प्रतिशत के भीतर सीमित रखने की जरूरत है। इस श्रेणी में आने वाले कुछ महत्वपूर्ण विभागों में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग, आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय तथा श्रम एवं रोजगार मंत्रालय शामिल हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि बड़े व्यय वित्त मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश से नियमित होंगे। मंत्रालयों और विभागों से दिशानिर्देश का कड़ाई से पालन करने को कहा गया है तथा चालू वित्त वर्ष में उसके अनुसार व्यय को नियमित करने को कहा गया है। अगर अधिक खर्च करने की जरूरत है तो उसके बारे में वित्त मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी।