लाखों में भरते हैं बिजली बिल व करते हैं विदेश यात्रा तो सावधान, भरना होगा आयकर रिटर्न
अब विदेश यात्रा पर दो लाख रुपये से अधिक खर्च करने वालों और एक लाख या उससे अधिक का बिजली बिल भरने वालों को अनिवार्य रूप से ITR दाखिल करना होगा।
नयी दिल्ली। यदि आपने विदेश यात्रा पर दो लाख रुपये से अधिक खर्च किए हैं या आपका बिजली का बिल साल में एक लाख रुपये से अधिक का है या आपने सालभर में बैंक में एक करोड़ रुपये से अधिक जमा कराए हैं तो भले आपकी कर योग्य आय पांच लाख रुपये सालाना से कम हो, आपके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य होगा। आम बजट 2019-20 में कर अपवंचन रोकने और कर आधार बढ़ाने के उद्देश्य से यह प्रस्ताव किए गए हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश वित्त विधेयक-2019 में इस आशय के प्रावधान किए। बजट के साथ प्रस्तुत वित्त विधेयक (दो)-2019 में आयकर अधिनियम की धारा-139 में कुछ संशोधन के प्रस्ताव हैं। इसके तहत कुछ मदों पर किसी के द्वारा एक निश्चित राशि से अधिक का लेन-देन करने पर आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य होगा।प्रस्तावित संशोधनों के तहत यदि कोई व्यक्ति एक साल में किसी बैकिंग कंपनी या सहकारी बैंक में एक या एक से अधिक चालू खाते में कुल एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा कराता है तो उसे आयकर विवरण देना अनिवार्य होगा।
इसी तरह यदि कोई व्यक्ति खुद की या किसी अन्य व्यक्ति की विदेश यात्रा पर कुल दो लाख रुपये से अधिक का व्यय करता है तो भी उसे आयकर विवरण देना होगा। इसके अलावा किसी व्यक्ति का सालाना बिजली उपभोग बिल कुल एक लाख रुपये से अधिक है तो भी उसे आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा। इन तीनों प्रस्तावों के तहत यदि उक्त व्यक्ति की सालाना कर योग्य आय पांच लाख रुपये से कम भी है तो भी उसे आयकर विवरण देना अनिवार्य होगा।
इसके अलावा आयकर अधिनियम की धारा-54 के तहत दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कर छूट का दावा करने वाले व्यक्तियों को भी आयकर विवरण देना होगा। फिलहाल इस समय पूंजीगत लाभ को मकान, कतिपय बांड जैसी परिसंपत्तियों में निवेश पर आयकर में छूट मिल जाती है और इसके लिए उन्हें आयकर विवरण दाखिल नहीं करना होता है। यह सभी संशोधन एक अप्रैल 2020 से प्रभावी होंगे और आकलन वर्ष 2020-21 और उसके बाद के वर्षों के लिए लागू होंगे।
बजट में देश में नकद लेनदेन की प्रवृत्ति को सीमित करने के लिए आयकर अधिनियम में एक नयी धारा-194एन जोड़ने का प्रस्ताव है। इसके तहत किसी व्यक्ति द्वारा बैंक या सहकारी बैंक या डाकघर के खातों से सालभर में एक करोड़ रुपये से ज्यादा नकदी की निकासी पर दो प्रतिशत की दर से स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) करने की सिफारिश की गयी है। यह प्रावधान सरकार, बैंकिंग कंपनी, बैंकिंग कार्य में लगी सहकारी समिति, डाकघर, बैंकिंग प्रतिनिधि और व्हाइट लेबल एटीएम परिचालन करने वाली इकाइयों पर लागू नहीं होगा, क्योंकि व्यवसाय के तहत उन्हें भारी मात्रा में नकद धन का इस्तेमाल करना होता है।
बजट दस्तावेजों के अनुसार सरकार भारतीय रिजर्व बैंक से परामर्श कर ऐसी दूसरी फर्मों/व्यक्तियों को भी धारा-194एन के तहत लगने वाले प्रस्तावित टीडीएस से छूट दे सकती है।
यह संशोधन एक सितंबर 2019 से प्रभावी करने का प्रस्ताव है।
साथ ही जो लोग मकान या बांड्स की बिक्री पर कैपिटल गेन टैक्स का लाभ दर्शाते हैं उनके लिए भी रिटर्न अनिवार्य बनाने से संबंधित बदलाव किए गए हैं। सरकार को इन प्रावधानों की जरूरत इसलिए पड़ी है क्योंकि फिलहाल अगर किसी व्यक्ति की आमदनी आयकर छूट की सालाना सीमा ढाई लाख रुपये से कम है तो उसे आयकर रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं होती।