नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस मामलों में कमी आने के बीच उद्योग मंडल फिक्की ने सरकार को आर्थिक गतिविधियों में चरणबद्ध तरीके से ढील देने तथा साथ ही निगरानी बनाये रखने का सुझाव दिया है। फिक्की के अनुसार अगर कोई इकाई कोविड से बचाव के नियमों का पालन करते हुए पूरी तरह से अलग-थलग होकर (आइसोलेशन बबल) परिचालन करने में सक्षम है, तो उसे हर समय काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए। भले ही वह जरूरी सेवाओं और उत्पादो के दायरे में नहीं आती हो। उद्योग मंडल ने कहा कि दूसरी लहर की गति ने रेखांकित किया है कि प्रतिबंध लगाने के लिए बहुत लंबा इंतजार करने से मामलों में वृद्धि हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप चिकित्सा बुनियादी ढांचे पर भारी दबाव पड़ सकता है।
फिक्की ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में कहा, ‘‘पहली और दूसरी लहर से सीख लेते हुए हमारा सुझाव है कि आर्थिक गतिविधियों को अनुमति देने के लिये चरणबद्ध रुख अपनाया जाए। यह जीवन और आजीविका को संतुलित करता है।’’ सुझाव में कहा गया है कि अगर मामले तेजी से कम भी होते हैं, तो भी निगरानी के तौर पर परीक्षण जारी रहना चाहिए। फिक्की ने उदाहरण देते हुए कहा कि हवाईअड्डा, रेलवे स्टेशन जैसे स्थानों पर लोगों का औचक परीक्षण होते रहना चाहिए। इसमें कहा गया है कि जिन इकाइयों ने एक खुराक के साथ कम-से-कम अपने 60 प्रतिशत कर्मचारियों का टीकाकरण करवा लिया है, उन्हें प्रतिबंधों से छूट दी जा सकती है। उद्योग मंडल के अनुसार संपर्क से जुड़े गैर-जरूरी क्षेत्रों जैसे छुट्टियां बिताने से संबंधित गतिविधियों, खुदरा आदि क्षेत्रों में अनुमति तभी मिले जब संक्रमण की दर 2.5 प्रतिशत से नीचे हो यानी जोखिम की स्थिति न्यूनतम हो। फिक्की के अनुसार, ‘‘जब तक देश की ज्यादातर आबादी कम-से-कम टीके की एक खुराक न ले ले, पाबंदियां जारी रहनी चाहिए।’’
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