नई दिल्ली। केन्द्रीय उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि उर्वरक सब्सिडी को प्रत्यक्ष लाभ-अंतरण (डीबीटी) प्रणाली के तहत लाने की व्यावहारिकता के अध्ययन करने के लिए एक कार्यबल का गठन किया जा चुका है और उससे तीन माह में रिपोर्ट मांगी गई है। डीबीटी के तहत सब्सिडी सीधे किसान के बैंक खाते में जाएगी। कुमार ने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने चालू खरीफ सत्र में उर्वरक सब्सिडी को डीबीटी में लाने के लिए 14 जिलों में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की है।
रबी सत्र में यह प्रयोग और 14 जिलों में किया जाएगा। इनके नतीजों के आधार पर इसको पूरे देश में लागू करने के बारे में कोई निर्णय किया जाएगा। कुमार ने कहा, खरीफ सत्र के दौरान हम 14 जिलों में डीबीटी को लागू कर रहे हैं। हम और 14 जिलों में रबी सत्र के दौरान डीबीटी को लागू करेंगे। तब मुझे एक अंदाज होगा। प्रायोगिक अध्ययन के बाद, हम फैसला करेंगे। उर्वरक क्षेत्र में डीबीटी की संभावित दिक्कतों के बारे में अनंत कुमार ने कहा, इनकी खपत एक जैसी नहीं होती है। यह राज्य दर राज्य, फसल दर फसल अलग अलग है। कुमार ने कहा कि उर्वरक सब्सिडी को डीबीटी प्रणाली के तहत लाने की व्यवहार्यता की जांच के लिए कार्यबल गठित किया गया है जो तीन महीने में अपनी सिफारिश जमा करेगा।
चालू वित्तवर्ष में उर्वरक सब्सिडी के लिए करीब 70,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है और चालू वित्तवर्ष के अंत में सब्सिडी का बकाया करीब 30,000 करोड़ रुपए रहने की संभावना है। यूरिया के मामले में सरकार ने अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 5,360 रुपए प्रति टन का निर्धारित किया है तथा उत्पादन लागत और एमआरपी के बीच के अंतर को सब्सिडी के रूप में विनिर्माताओं को भुगतान किया जाता है। गैर यूरिया उर्वरकों के मामले में सरकार हर वर्ष एक निर्धारित सब्सिडी की घोषणा करती है और एमआरपी का निर्धारण विनिर्माताओं के द्वारा किया जाता है। कुमार ने यह घोषणा भी की कि सरकार किसानों के हित में एक स्थान पर सभी कृषि काम में उपयोग आने वाली सामग्रियों की विपणन के लिए 2,000 केन्द्रों की स्थापना करेगी। पिछले महीने मंत्री ने राज्य सरकारों से डीबीटी योजनाओं को शुरू करने में सभी राज्य सरकारों से अपनी सहायता देने को कहा था।
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