Q1 में FDI सात फीसदी बढ़कर 10.55 अरब डॉलर, दो साल में 53% बढ़ा विदेशी निवेश
देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) इस साल की पहली तिमाही में 7 फीसदी बढ़कर 10.55 अरब डॉलर हो गया।
नई दिल्ली। देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) इस साल की पहली तिमाही में 7 फीसदी बढ़कर 10.55 अरब डॉलर हो गया। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार जनवरी-मार्च 2015 की तिमाही में 9.88 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था। आलोच्य अवधि में जिन क्षेत्रों को सबसे अधिक एफडीआई मिला उनमें कम्प्यूटर हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर, सेवा, दूरसंचार, बिजली, फार्मास्युटिकल्स व ट्रेडिंग कारोबार रहा।
देश के लिहाज से भारत को सबसे अधिक विदेशी निवेश प्रवाह अमेरिका, सिंगापुर, मॉरीशस, जापान व नीदरलैंड से मिला। एक अधिकारी ने कहा कि सरकार द्वारा बजट में सेवा क्षेत्र के लिए विदेशी निवेश नीतियों को और उदार बनाए जाने के कारण और निवेश आएगा। सरकार ने हाल ही में रक्षा, नागर विमानन, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्युटिकल्स व निजी सुरक्षा एजेंसियों के आठ क्षेत्रों के लिए एफडीआई नियमों में ढील दी।
विदेशी संस्थागत निवेश 2 साल में 53 फीसदी बढ़ा
पिछले दो सालों में विदेशी संस्थागत निवेश (एफडीआई) में रिकॉर्ड 53 फीसदी वृद्धि हुई है। सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में यह जानकारी दी है। सरकार ने कहा कि निवेश में बढ़ोतरी का मुख्य कारण विकास, निवेश का माहौल, कीमतों में स्थिरता और राजकोषीय घाटे के सही तरीके से प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों के कारण हुआ है।
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने प्रश्नकाल के दौरान कहा कि एफडीआई में व्यापक सुधारों के कारण वर्ष 2015-16 में एफडीआई में सबसे ज्यादा इजाफा देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा विकास, निवेश का माहौल, कीमतों में स्थिरता और राजकोषीय घाटे के सही तरीके से प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों के कारण समग्र व्यापक आर्थिक स्थिरता आई है और देश में निवेश का माहौल अच्छा हुआ है।
जेटली ने यह बात एक सवाल के जबाव में कही। पूछा गया था कि कितना पैसा विदेशी निवेशक लाभांश और रॉयल्टी के माध्यम से वापस ले गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम कहें कि वे मुनाफा नहीं कमा सकते तो कोई भी निवेश करने नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि देशी-विदेशी दोनों तरह के निवेशक ‘उचित और अपेक्षानुरूप कर व्यवस्था’ चाहते हैं।