नई दिल्ली। देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से दिसंबर अवधि के दौरान 40 फीसदी बढ़कर 29.44 अरब डॉलर पर पहुंच गया। अप्रैल-दिसंबर 2014 के दौरान 21.04 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था।
औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की नौ महीने की अवधि में कम्प्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवयेर क्षेत्र में सबसे अधिक विदेशी निवेश (5.30 अरब डॉलर) आया, जिसके बाद सेवा (4.25 अरब डॉलर), व्यापार कारोबार (2.71 अरब डॉलर), वाहन उद्योग (1.78 अरब डॉलर) और रसायन (1.19 अरब डॉलर) का स्थान रहा। इसके अलावा समीक्षाधीन अवधि में एफडीआई के शीर्ष स्रोत के तौर पर सिंगापुर ने मॉरीशस को पीछे छोड़ दिया।
भारत को सिंगापुर से 10.98 अरब डॉलर का विदेशी निवेश मिला, जिसके बाद मॉरीशस (6.10 अरब डॉलर), अमेरिका (3.51 अरब डॉलर), नीदरलैंड (2.14 अरब डॉलर) और जापान (1.08 अरब डॉलर) का स्थान रहा। सरकार ने उदार एफडीआई नीति के जरिये निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
विदेशी निवेशकों ने निकाले 11,362 करोड़ रुपए
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक पूंजी बाजार से 11,350 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि निकाली है। ऐसा मुख्य तौर पर कच्चे तेल की कीमत में लगातार नरमी और वैश्विक सुस्ती की आशंका के मद्देनजर हुआ।
एफपीआई ने इस साल की शुरुआत से अब तक 20,177 करोड़ रुपए (तीन अरब डॉलर) निकाले हैं। डिपॉजिटरी के पास उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक एफपीआई ने 1-26 फरवरी के दौरान शेयर बाजार से 4,937 करोड़ रुपए निकाले, जबकि इसी अवधि में ऋण बाजार से 6,425 करोड़ रुपए निकाले, जिससे कुल निकासी 11,362 करोड़ रुपए (1.66 अरब डॉलर) रही। इससे पहले जनवरी में एफपीआई ने शेयरों से 13,381 करोड़ रुपए निकाले, जबकि ऋण बाजार में 3,274 करोड़ रुपए डाले थे।
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