नई दिल्ली। देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) वित्त वर्ष 2018-19 की अप्रैल-जून अवधि में 23 प्रतिशत बढ़कर 12.75 अरब डॉलर रहा। औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (DIPP) के आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल-जून के दौरान विदेशी पूंजी प्रवाह 10.4 अरब डॉलर था।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जिन प्रमुख क्षेत्रों में विदेशी निवेश आया उसमें सेवा (2.43 अरब डॉलर), व्यापार (1.62 अरब डॉलर), दूरसंचार (1.59 अरब डॉलर), कंप्यूटर साफ्टवेयर और हार्डवेयर (1.4 अरब डॉलर) तथा बिजली (96.9 करोड़ डॉलर) शामिल हैं।
आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य तिमाही में एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत सिंगापुर रहा। वहां से 6.52 अरब डॉलर का निवेश आया। उसके बाद क्रमश: मॉरीशस (1.5 अरब डॉलर), जापान (87.4 करोड़ डॉलर), नीदरलैंड (83.6 करोड़ डॉलर), ब्रिटेन (64.8 करोड़ डॉलर) तथा अमेरिका (34.8 करोड़ डॉलर) का स्थान रहा।
चालू खाते का बढ़ते घाटे को देखते हुए विदेशी निवेश में वृद्धि महत्वपूर्ण है। एसबीआई रिसर्च के अनुमान के अनुसार कच्चे तेल के दाम में वृद्धि के कारण देश का चालू खाते का घाटा 2018-19 में 2.8 प्रतिशत पहुंच सकता है। वित्त वर्ष 2017-18 में एफडीआई महज 3 प्रतिशत बढ़कर 44.85 अरब डॉलर रहा।
विदेशी पूंजी प्रवाह में कमी से देश के भुगतान संतुलन पर दबाव पड़ सकता है और रुपए के मूल्य पर भी असर पड़ सकता है।
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