FDI प्रवाह में आया 28 प्रतिशत उछाल, अप्रैल-जनवरी के दौरान भारत में आया 54.18 अरब डॉलर का विदेशी निवेश
वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीनों के दौरान कुल एफडीआई (जिसमें आय को दोबारा निवेश करना शामिल है) 15 प्रतिशत बढ़कर 72.12 अरब डॉलर रहा।
नई दिल्ली। भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 के पहले दस महीनों के दौरान रिकॉर्ड एफडीआई प्रवाह आकर्षित किया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में अप्रैल से जनवरी 2021 की अवधि में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 28 प्रतिशत बढ़कर 54.18 अरब डॉलर रहा है। अप्रैल-जनवरी 2019-20 के दौरान विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 42.34 अरब डॉलर था।
वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीनों के दौरान कुल एफडीआई (जिसमें आय को दोबारा निवेश करना शामिल है) 15 प्रतिशत बढ़कर 72.12 अरब डॉलर रहा। यह किसी भी वित्तीय वर्ष के पहले 10 महीने में आया सबसे अधिक एफडीआई है, जो कि वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना (62.72 अरब डॉलर) में 15 प्रतिशत अधिक है।
रुझानों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 (54.18 अरब डॉलर) के पहले 10 महीने में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 28 प्रतिशत बढ़ गया है। जबकि इसी अवधि में वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 42.34 अरब डॉलर एफडीआई इक्विटी प्रवाह आया था।
वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीने में एफडीआई इक्विटी के जरिए निवेश करने वाले देशों में 30.28 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ सिंगापुर सबसे ऊपर है। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका (24.28 प्रतिशत) और यूएई (7.31 प्रतिशत) का स्थान है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, जनवरी 2021 के दौरान कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 29.09 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ जापान सबसे आगे रहा। इसके बाद सिंगापुर (25.46 प्रतिशत) और अमेरिका (12.06 प्रतिशत) का स्थान है।
वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीने में 45.81 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र से सबसे ज्यादा एफडीआई इक्विटी प्रवाह हुआ है। इसके बाद निर्माण (इंफ्रास्ट्रक्च र) गतिविधियों (13.37 प्रतिशत) और सेवा क्षेत्र (7.80 प्रतिशत) में एफडीआई आया।
रूझान के अनुसार अकेले जनवरी 2021 में 21.80 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ कंसल्टेंसी सेवाएं कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में सबसे ज्यादा एफडीआई आया। इसके बाद कम्प्यूटर और हार्डवेयर (15.96 प्रतिशत) और सेवा क्षेत्र (13.64 प्रतिशत) की हिस्सेदारी रही। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में इन रुझानों से साफ है कि भारत वैश्विक निवेशकों के लिए निवेश का एक प्रमुख स्थान बन गया है।
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