नई दिल्ली। देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) इक्विटी प्रवाह चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 21 प्रतिशत बढ़कर 35.33 अरब डॉलर रहा। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार एक साल पहले 2019-20 की इसी अवधि में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 29.31 अरब डॉलर था। विभाग ने 2020 की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए एक बयान में कहा, ‘‘एफडीआई इक्विटी प्रवाह अप्रैल 2020 से अक्टूबर 2020 के दौरान 21 प्रतिशत बढ़कर 35.33 अरब डॉलर रहा। इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 29.31 अरब डॉलर था।’’
जिन क्षेत्रों में अधिकतम विदेशी पूंजी प्रवाह आया, उसमें कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सेवाएं, व्यापार, रसायन और वाहन शामिल हैं। देश में सर्वाधिक निवेश सिंगापुर, अमेरिका, मॉरीशस, नीदरलैंड, ब्रिटेन, फ्रांस और जापान से आया। बयान के अनुसार डीपीआईआईटी के पास 2020 में आये 26 एफडीआई आवेदनों का निपटान किया गया। विभाग ने कहा कि 554.73 एकड़ क्षेत्र के 84 भूखंड कंपनियों को आवंटित किये गये और इसमें कुल 16,100 करोड़ रुपये का निवेश आया। इन निवेशकों में हायोसुंग (दक्षिण कोरिया), एनएलएमके (रूस), हायर (चीन), टाटा केमिकल्स और अमूल शामिल हैं।
डीपीआईआईटी ने कहा कि नौ कंपनियों ने वाणिज्यिक उत्पादन भी शुरू कर दिया है। बयान के अनुसार संयुक्त सचिव स्तर के नोडल अधिकारियों की अगुवाई में परियोजना विकास प्रकोष्ठ (पीडीसी) 29 मंत्रालयों/विभागों में स्थापित किये गये हैं। सभी पीडीसी निवेशकों के साथ बेहतर तालमेल की रणनीति के हिसाब से सुचारू रूप से काम कर रहे हैं। इसमें संभावित निवेशकों की पहचान, रुचि दिखाने वाले निवेशकों के साथ बहु-स्तरीय जुड़ाव, निवेशकों की समस्याओं के समाधान के लिये संबंधित पक्षों के साथ बातचीत, नई परियोजनाओं/प्रस्तावों का विकास तथा मौजूदा निवेश अवसरों को बढ़ावा देना शामिल है। इसके अलावा, ‘वन स्टॉप डिजिटल’ मंच केंद्रीय एकल खिड़की प्रणाली के जरिये कंपनियों को सुविधा और समर्थन देने के लिये एक निवेश मंजूरी प्रकोष्ठ (आईसीसी) का गठन किया जा रहा है। इस मंच की शुरुआत चुनिंदा राज्यों में 15 अप्रैल, 2021 तक किये जाने की योजना है।
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