नई दिल्ली। टोल बूथ पर लगने वाले लंबे जाम को कम करने और ट्रैफिक की रफ्तार बढ़ाने के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत एक दिसंबर से सभी वाहन निर्माताओं और डीलर्स के लिए नए वाहनों पर FASTags लगाना अनिवार्य कर दिया है। FASTags एक ऐसा उपकरण है जिसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है और यह कार को टोल प्लाजा पर भुगतान के लिए बिना रुके निकलने की अनुमति देता है।
आरएफआईडी प्रौद्योगिकी वाले स्टीकर को कार के अगले शीशे पर लगाया जाएगा और यह एक प्रीपेड या संबंध बचत खाते से लिंक होता है और टोल से हर बार निकलने पर शुल्क इससे ऑटोमैटिक कट जाता है। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है। इसके अनुसार एक दिसंबर, 2017 के बाद बिकने वाले सभी नए वाहनों पर फास्टैग लगाए जाएंगे। इसके अनुसार केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के संबंधित खंड में आवश्यक संशोधन कर दिया गया है।
ट्रैफिक को रफ्तार देने के अलावा फास्टैग कैशलेस पेमेंट को भी बढ़ावा देगा और यह सरकार के डिजिटाइजेशन पहल के अनुरूप है। एनएचएआई ने एक अक्टूबर से 370 टोल प्लाजा पर डेडीकेटेड फास्टैग लाइन में शुरू कर दी हैं। अब तक कुल 6 लाख फास्टैग को इस्तेमाल के लिए जारी किया जा चुका है।
एनएचएआई ने अगस्त में दो मोबाइल एप भी लॉन्च किए थे। इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन के लिए मायफास्टैग और मोबाइल फोन के जरिये फास्टैग को रिचार्ज करने के लिए फास्टैग पार्टनर एप शुरू किए गए हैं। फास्टैग को न्यूनतम 100 रुपए और अधिकतम एक लाख रुपए से रिचार्ज करवाया जा सकता है। टोल पर ट्रांजैक्शन पूरा होने के बाद यूजर को उसके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एसएमएस के जरिये इसकी सूचना प्राप्त होगी।
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