नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी की मार से धीरे-धीरे उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्ता पर किसान कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन का बुरा असर पड़ रहा है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने कहा है कि किसानों के आंदोलन की वजह से आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है, जिससे आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। सीआईआई ने कहा कि किसानों के आंदोलन की वजह से अर्थव्यवस्था में मौजूदा पुनरोद्धार का सिलसिला भी प्रभावित हो सकता है। CII ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि किसान प्रदर्शन की वजह से माल ढुलाई की लागत में 8-10 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है।
सीआईआई ने कहा कि अर्थव्यवस्था को वृद्धि की राह पर लाने की चुनौती के बीच हम सभी अंशधारकों से आग्रह करते हैं कि वे मौजूदा विरोध-प्रदर्शन के बीच कोई रास्ता ढूंढे और आपसी सहमति के समाधान पर पहुंचें। पिछले कुछ सप्ताह के दौरान किसान आंदोलन काफी तेज हो गया है। इससे उत्तरी राज्यों मसलन दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान तथा कुछ अन्य राज्यों में विभिन्न नाकों या चौकियों पर यातायात बाधित हुआ है।
सीआईआई ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन से आपूर्ति श्रृंखला पहले ही काफी बुरी तरह प्रभावित हुई है। अब आपूर्ति श्रृंखला में सुधार हो रहा था लेकिन किसान आंदोलन की वजह से यह फिर दबाव में आ गई है। उद्योग मंडल ने कहा कि सामान की करीब दो-तिहाई खेप को पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर में अपने गंतव्यों पर पहुंचने में 50 प्रतिशत अतिरिक्त समय लग रहा है। इसके अलावा हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब के भंडारगृहों से परिवहन वाहनों को दिल्ली पहुंचने के लिए 50 प्रतिशत अधिक यात्रा करनी पड़ रही है। सीआईआई ने कहा कि इससे लॉजिस्टिक्स की लागत करीब 8 से 10 प्रतिशत बढ़ जाएगी। दिल्ली के आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों की कंपनियों के समक्ष श्रमबल का संकट पैदा हो गया है।
सीआईआई उत्तरी क्षेत्र के चेयरमैन निखिल साहनी ने कहा, ‘‘मौजूदा किसान आंदोलन का तत्काल हल निकलना चाहिए। इससे न केवल आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी बल्कि आपूर्ति श्रृंखला पर भी इसका असर पड़ रहा है। इससे बड़े और छोटे उद्योग समान रूप से प्रभावित हैं।
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