Farm laws: सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट 100% किसानों के पक्ष में, जल्द हो सकता है समाधान!
किसान राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न बॉर्डर पर पिछले नौ महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की मांग पर अड़े हैं।
नई दिल्ली। देश में नए कृषि कानूनों को लेकर लंबे समय से चले आ रहे किसानों के विरोध प्रदर्शनों का अब जल्द ही समाधान होने की उम्मीद है। विवादास्पद कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के एक सदस्य ने कहा कि समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट शत प्रतिशत किसानों के पक्ष में है और सुप्रीम कोर्ट को अब बिना देरी किए इस मामले पर सुनवाई करनी चाहिए। समिति के सदस्य ने कहा कि सरकार और सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट जारी होने के साथ पैदा होने वाली कानून-व्यवस्था संबंधी स्थिति पर विचार करना होगा, जिसके लिए उन्हें समय की जरूरत होगी। लेकिन इस वजह से इस रिपोर्ट को दरकिनार नहीं कर सकते और इसे नजरअंदाज भी नहीं किया जाना चाहिए।
समिति के सदस्य, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल जे घनवत ने एक सितंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि समिति तीनों कानून को समाप्त करने का समर्थन नहीं करती है, जैसा कि प्रदर्शनकारी किसान संगठन मांग कर रहे हैं। लेकिन वह और उनका संगठन का निश्चित तौर पर यह मानना है कि कानून में कई खामियां हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है।
घनवत ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट किसानों के सभी संदेह को दूर करने के लिए रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक करे। लोगों को जब रिपोर्ट के बारे में पता चलेगा तो वे निर्णय कर पाएंगे कि नए कृषि कानून किसानों के पक्ष में है या नहीं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट जमा किए हुप पांच महीने बीत चुके हैं और अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया है, यह बात समझ से परे है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से रिपोर्ट को जल्द से जल्द जारी करने का आग्रह किया है।
मुख्य न्यायाधीश को लिखे अपने पत्र में घनवत ने कहा है कि रिपोर्ट में किसानों की सभी आंशकाओं का समाधान किया गया है। समिति को पूरा भरोसा है कि रिपोर्ट में की गई सिफारिशें जारी किसान आंदोलन को खत्म करने का रास्ता तैयार करेंगी। तीन कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी, 2021 को एक समिति का गठन किया था, जिसमें घनवत को कृषि समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए सदस्य के रूप में नामित किया गया था। समिति के अन्य सदस्यों में अशोक गुलाटी, पूर्व अध्यक्ष कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेस (सीएसीपी) और प्रमोद कुमार जोशी, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट शामिल हैं।
घनवत ने कहा कि नए कानून में कई खामियां हैं। हमारा शेतकारी संगठन भी नए कृषि कानूनों का समर्थन करता है लेकिन हमें कुछ मुद्दों को लेकर चिंता है। प्रमुख चिंता यह है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाएगा, लेकिन यह सच नहीं है। नए कृषि कानून में एमएसपी को लेकर कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन इस मुद्दे पर किसानों के बीच सबसे ज्यादा भय व्याप्त है।
किसान राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न बॉर्डर पर पिछले नौ महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की मांग पर अड़े हैं। इसी तरह का पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संबंधित मंत्रियों को लिखने के सवाल पर घनवत ने कहा कि नहीं, समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट ने किया है। हम केवल अदालत के समक्ष ही अपनी बात कहेंगे। इस मुद्दे पर सरकार के साथ कोई संबंध नहीं है। न तो सरकार ने हमें नियुक्त किया है और न ही हम उनके प्रति जवाबदेह हैं।
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