मुंबई। गैर निष्पादित कर्ज (एनपीए) में गिरावट आने की वजह से बैंकों का लाभ बढ़ने से वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.60 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
इसमें कहा गया है कि कर्ज की लागत में कमी के साथ बैंकों का लाभ बढ़ने के कारण यह संभव होगा। एनपीए के लिए बैंकों को अपने खाते में हानि दिखानी पड़ती है। लाभ बढ़ने पर बैंक उत्पादक कार्यों के लिए और अधिक कर्ज दे सकेंगे।
अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन साक्श ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि कर्ज की लागत में कमी से ऋण वितरण में 1.40 प्रतिशत की वृद्धि होगी, वास्तविक निवेश में 2 प्रतिशत तथा वास्तविक जीडीपी में 0.60 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
इससे पहले, रिजर्व बैंक ने 2019-20 में जीडीपी 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था, जो फरवरी के अनुमान से 0.2 प्रतिशत कम है। ब्रोकरेज कंपनी का अनुमान है कि 2019-20 में एनपीए के लिए प्रावधान कुल बकाया कर्ज के 1.20 प्रतिशत तक रह जाएगा, जो 2017-18 में 2.30 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था।
समग्र रूप से यह राशि 3.3 लाख करोड़ रुपए से कम होकर 1.9 लाख करोड़ रुपए रह जाएगी। कर्ज में वृद्धि पिछले कुछ पखवाड़ों में कई साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। 29 मार्च को समाप्त पखवाड़े में यह 13.24 प्रतिशत थी।
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