नई दिल्ली। अगर आप इनकम टैक्स देने से बचने के लिए मकान के किराए की नकली रसीद देते हैं तो आप मुसीबत में फंस सकते हैं। अगली बार हाउस रेंट अलाउंस (HRA) के अंतर्गत रेंट के ऐसे रसीद देने से पहले सावधान हो जाएं। इनकम टैक्स अधिकारी अब इस बात पर भी नजर रख रहे हैं कि कहीं आपकी किराए की रसीद फर्जी तो नहीं है। आयकर विभाग इससे संबंधित और भी सबूत आपसे मांग सकता है।
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इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ने फैसला दिया है कि आय की जांच कर रहे अधिकारी इस मामले की गहनता से जांच कर सकते हैं। वह आपसे इस बात के सबूत भी मांग सकते हैं कि आपने जिस घर के किराए की रसीद दी है, वहीं रहते भी हैं।
अगर अधिकारी को लगता है कि जमा की गई रसीद नकली हैं तो वह लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट, हाउसिंग सोसायटी को लिखे गए लेटर, बिजली या पानी के बिल आदि चीजें मांग सकता है।
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अभी इनकम टैक्स में छूट पाने के लिए केवल किराए की रसीद जमा करनी होती है। अगर किराया एक लाख सालाना से अधिक हो तो मकान मालिक का पैन नंबर भी देना होता है। नए फैसले के बाद अब यह बदल सकता है और अब किराया देने की बात साबित करने का जिम्मा किराए की रसीद जमा करने वाले पर होगा।
नौकरीपेशा लोगों को आयकर अधिनियम की धारा 10(13A) के तहत मकान के किराए पर छूट मिलती है। इस नियम के तहत कर्मचारी मिले किराया भत्ते (HRA) या बेसिक सैलरी के 50 फीसदी (मेट्रो सिटी) या 40 फीसदी (अन्य शहर) या फिर दिए गए किराए में से सालाना बेसिक सैलरी का 10 फीसदी घटा कर प्राप्त राशि, इनमें जो भी सबसे कम हो, तक की छूट पा सकते हैं।
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