नई दिल्ली। फेसबुक ने अपने विवादास्पद फ्री बेसिक्स इंटरनेट सर्विस का एक बार फिर बचाव किया है। फेसबुक ने कहा, वह इसकी प्रक्रिया की किसी भी तीसरे पक्ष की एजेंसी मसलन आईएएमएआई या नैसकॉम से जांच कराने को तैयार हैं। फेसबुक के इंटरनेट.ओआरजी के उपाध्यक्ष क्रिस डेनियल्स ने कहा, हम किस एप्स को स्वीकार करें और न करें और क्यों, इसके लिए हम थर्ड पार्टी से ऑडिट के लिए तैयार हैं। हमने इसके लिए आईएएमएआई और नैसकॉम का प्रस्ताव किया है। हम कहना चाहते हैं कि हमने कभी भी ऐसी एप से इनकार नहीं किया है जो दिशानिर्देशों के अनुकूल है। हमने इस पर ऑपरेटरों से भी बात की है।
विवादास्पद इंटरनेट प्लेटफार्म को बचाने लिए कवायद शुरू
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के डाटा पहुंच के विभिन्नीकृत मूल्य को लेकर जारी परिपत्र पर टिप्पणी देने की आखिरी तारीख नजदीक आ रही है। ऐसे में सोशल मीडिया क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ने अपने विवादास्पद इंटरनेट प्लेटफार्म को भारत में बचाने के लिए कवायद शुरू कर दी है। फेसबुक की प्रस्तावित फ्री बेसिक्स योजना में उपयोक्ता शिक्षा, हेल्थकेयर और रोजगार जैसी सर्विस अपने मोबाइल फोन पर उस एप के जरिए नि:शुल्क (बिना किसी डेटा योजना के) हासिल कर सकते हैं जोकि इस प्लेटफार्म के लिए विशेष रूप से बनाया गया है।
ट्विटर और गूगल प्लस देने को तैयार फेसबुक
बेसिक्स में उपयोक्ता कुछ वेबसाइटें नि:शुल्क खोल सकते हैं। लेकिन इसके साथ ही यह पहल यू-ट्यूब, गूगल या ट्विटर आदि बाकी वेबसाइटों की अनुमति नहीं देती। आलोचकों ने कंपनी की इस पहल को नेट निरपेक्षता के सिद्धांत का कथित उल्लंघन बताया है। डेनियल्स ने कहा कि फ्री बेसिक्स उन दूरसंचार ऑपरेटरों के प्लेटफार्म पर पेश नहीं की जाएगी जहां किसी एप्लिकेशन को खारिज करना उनकी भागीदारी की शर्त होगा। उन्होंने कहा कि हम अपने प्लेटफार्म पर ट्विटर, गूगल प्लस आदि भी देने को तैयार हैं जिनकी लोग मांग करेंगे।
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