Battle for free Internet: फ्री बेसिक्स से इंटरनेट की आजादी होगी खत्म, फेसबुक इंटरनेट बाजार पर करना चाहता है कब्जा
इंटरनेट डॉट ओआरजी को लेकर कड़ी आलोचना का सामना कर चुके फेसबुक ने एक बार फिर भारत में मोबाइल यूजर्स को अपने फ्री बेसिक्स का समर्थन करने को कहा है।
नई दिल्ली। इंटरनेट डॉट ओआरजी को लेकर कड़ी आलोचना का सामना कर चुके फेसबुक ने इस बार भारत में मोबाइल यूजर्स को अपने फ्री बेसिक्स के समर्थन में करने के लिए मीडिया विज्ञापन का सहारा लिया है। फेसबुक इस पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। इतना ही नहीं फ्री बेसिक्स के लिए जनता का समर्थन जुटाने के लिए फेसबुक नई-नई ट्रिक भी अपना रहा है। इसके तहत आपके फेसबुक एकाउंट पर एक मैसेज फेसबुक द्वारा भेजा जाता है, जैसे ही इस पर आप क्लिक करते हैं तो एक ऑटोमैटिक सपोर्ट ई-मेल जनरेट होता है, जिस पर क्लिक करते ही यह सेबी के पास पहुंच जाता है। इसका मतलब ये है कि आप फेसबुक के फ्री बेसिक्स का समर्थन कर रहे हैं और ट्राई इसे अनुमति दे।
पिछले कुछ हफ्तों से अखबरों के पूरे-पूरे पन्ने और शहरों के प्रमुख स्थानों पर लगे बड़े-बड़े होर्डिंग्स फेसबुक के फ्री बेसिक्स का समर्थन करने की अपील कर रहे हैं। यदि आप यह समझ रहे हैं कि फ्री बेसिक्स का मतलब भारत में उन लोगों को फ्री इंटरनेट उपलब्ध कराना है, जो इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए पैसा खर्च नहीं कर सकते, तो यह आपकी भूल है। वास्तव में, इसका मतलब है इंटरनेट की पहुंच का एक सीमित उपयोग। आपको याद होगा इंटरनेट डॉट ओआरजी और नेट न्यूट्रालिटी (नेट निरपेक्षता) पर इस साल खूब बहस छिड़ी थी। इंटरनेट डॉट ओआरजी के जरिये फेसबुक ने कुछ टेलीकॉम ऑपरेटर्स के साथ मिलकर कुछ चुनिंदा साइट्स और ऐप तक पहुंच को फ्री कर दिया था। इसकी कड़ी आलोचना के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लेकिन फेसबुक ने इसे अब फ्री बेसिक्स का नाम देकर फिर से इसे ठंडे बस्ते से बाहर निकाला है।
क्या है फ्री बेसिक्स
फ्री बेसिक्स के साथ फेसबुक एक नियामक बनने की कोशिश कर रहा है, जो यह तय करेगा कि कौन सी बेवसाइट या ऐप इसका हिस्सा होंगे। फेसबुक के निर्णय के आधार पर ही वेबसाइट या ऐप्स फ्री बेसिक्स का हिस्सा बन सकेंगे, जो यूजर के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध होंगी। ये मौजूदा इंटरनेट के निर्माण की परिकल्पना के बिल्कुल उलट है। इंटरनेट डॉट ओआरजी और फ्री बेसिक्स का उद्देश्य एक समान है। वर्ल्ड वाइड वेब के आविष्कारक बार्नर्स ली ने दि गार्जियन से कहा कि फेसबुक का इंटरनेट डॉट ओआरजी वेब का कटडाउन वर्जन है और लोगों को इसे अस्वीकार करना चाहिए।
क्या है फ्री बेसिक्स के पीछे का उद्देश्य
फेसबुक के लिए भारत वर्तमान में अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। यहां 13 करोड़ फेसबुक यूजर्स हैं। भारतीयों को फेसबुक की काफी लत लग चुकी है और इस तलब के कम होने की फिलहाल कोई वजह भी नजर नहीं आती। लेकिन मार्क जुकरबर्ग इतने से संतुष्ट नहीं हैं। उनकी नजर उन 100 करोड़ भारतीयों पर है, जो अभी इंटरनेट की पहुंच से बाहर हैं। फेसबुक यूजर्स पर अपने नियंत्रण के जरिये पूरे इंटरनेट बाजार को अपनी मुठ्ठी में करना चाहता है।
फेसबुक की मंशा पर शंका के बादल
यदि फ्री बेसिक्स का वास्तविक उद्देश्य भारत में अधिक से अधिक लोगों तक इंटरनेट को पहुंचाना है तो यहां कुछ सवाल हैं जिनका उत्तर फेसबुक को देना जरूरी है।
क्यों केवल फेसबुक और कुछ अन्य वेबसाइट या ऐप्स ही इसकी पहुंच में होंगे और क्यों नहीं पूरा इंटरनेट इसमें शामिल है?
क्यों फेसबुक और मोबाइल ऑपरेटर्स नियामक की तरह कार्य कर रहे हैं और यह तय करेंगे कि कौन फ्री बेसिक्स का हिस्सा होंगे और कौन नहीं?
वे दूसरों की हानि के लिए कोई काम नहीं करेंगे कि इसकी क्या गारंटी है?
यूजर्स को ललचाने के लिए अंधाधुंध कोशिश
भारत में पिछले एक हफ्ते से इंटरनेट यूजर्स जैसे ही अपना फेसबुक एकाउंट लॉगइन कर रहे हैं तो उन्हें एक नोटिफिकेशन मैसेज मिलता है, जिसमें लिखा होता है भारत में फ्री बेसिक्स को बचाने के लिए अभी कदम उठाएं। यूजर्स से इस फॉर्म को सबमिट करने के लिए कहा जा रहा है, यदि कोई यूजर्स इस पर अपनी प्रतिक्रिया देता है तो यह मैसेज टेलीकॉम रेगूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के पास फ्री बेसिक्स के समर्थन के तौर पर पहुंच जाता है। फेसबुक ने दावा किया है कि फ्री बेसिक्स के लिए 32 लाख लोगों ने अपना समर्थन दिया है।
ट्राई ने आरकॉम को फ्रीबेसिक्स को रोकने के लिए कहा
ट्राई ने 23 दिसंबर को अनलि अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस कम्यूनिकेशंस (आरकॉम) को फ्री बेसिक्स के कमर्शियल लॉन्च को रोकने के आदेश दिए थे। ट्राई के आदेश के बाद आरकॉम ने फेसबुक के फ्री बेसिक्स की लॉन्चिंग फिलहाल टाल दी है। भारत में फ्री बेसिक्स पेश करने वाली आरकॉम अकेली मोबाइल कंपनी है। ट्राई इस मुद्दे पर जनता और विशेषज्ञों से राय ले रहा है, इसके बाद ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।