नई दिल्ली। सरकार ने कहा कि निर्यात में गिरावट मई माह में रोकी जा चुकी है और अब समय है कि निर्यात को प्रोत्साहन दिया जाए। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अभी निर्यात में तीव्र वृद्धि धीमी रहने की संभावना है पर यह गर्त से उठने लगा है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि अब से इसमें धीमी लेकिन निरंतर वृद्धि दिखेगी।
पिछले महीने के संकेतकों से स्पष्ट है कि यह निर्यात में गिरावट 0.79 फीसदी तक सीमित रह गई है। पर अब भी ऐसी स्थिति है, जिसमें हमें निर्यात में गति लाने के लिए बहुत कुछ करना है। उन्होंने कहा, यह ऐसा समय है जबकि मदद करनी होगी चाहे वह ब्याज सहायता के तौर पर हो या फिर निर्यात पर किसी अन्य तरह के प्रोत्साहन के रूप में। हम खंडवार तरीके से इस पर विचार कर रहे हैं।
वाणिज्य मंत्री की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि निर्यात मई महीने में लगातार 18वें महीने गिरा हालांकि यह 0.79 फीसदी की गिरावट ममूली रह गई। मई में निर्यात 22.17 अरब डॉलर रहा। इंजीनियरिंग और रत्न एवं जेवरात जैसे कई गैर तेल खंडों में निर्यात बढ़ा है। दिसंबर 2014 से अब तक मई महीने में निर्यात में सबसे कम गिरावट हुई। सीतारमण ने कहा कि वह सतर्क हैं लेकिन मैं देख रही हूं कि निर्यात में निरावट को थामा जा चुका है और यह धीरे-धीरे सुधर रही है। यह पूछने पर कि क्या सरकार इस्पात पर न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) की मियाद और बढ़ाने पर विचार कर रही है, उन्होंने कहा कि मंत्रालय समय आने पर इस मुद्दे पर बात करेगा। यह व्यवस्था अभी अगस्त के शुरू तक के लिए लागू है। एक अधिकारी के मुताबिक एमआईपी विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अनुकूल पहल नहीं है। भारत को डंपिंग रोधी शुल्क जैसी पहलों पर विचार करना चाहिए, जो डब्ल्यूटीओ के अनुरूप है ताकि इस्पात समेत जिंसों के सस्ते आयात से निपटा जा सके।
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