नई दिल्ली। चावल तथा ताजा फल एवं सब्जियों सहित खाद्य वस्तुओं के निर्यात में पर्याप्त वृद्धि होने के कारण चालू वित्त वर्ष के पहले सात माह (अप्रैल-अक्टूबर) में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात 14.7 प्रतिशत बढ़कर 11.65 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वाणिज्य मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा है कि इस वित्त वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान चावल का निर्यात बढ़कर 5.28 अरब डॉलर का हो गया है, जो अप्रैल-अक्टूबर 2020 में 4.77 अरब डॉलर का था। इसी तरह ताजा फल और सब्जियों का निर्यात, अप्रैल-अक्टूबर 2020-21 के 1.37 अरब डॉलर की तुलना में वर्ष 2021-22 की समान अवधि में बढ़कर 1.53 अरब डॉलर का हो गया।
मांस, डेयरी और पॉल्ट्री उत्पादों का निर्यात 1.97 अरब डॉलर से बढ़कर 2.28 अरब डॉलर हो गया। समीक्षाधीन अवधि के दौरान काजू निर्यात 29.2 प्रतिशत बढ़कर 26 करोड़ 52.7 लाख डॉलर पर पहुंच गया। एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) के चेयरमैन एम अंगमुतु ने कहा कि हम पूर्वी, उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों और पहाड़ी राज्यों से निर्यात के लिए बुनियादी ढांचा बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी थी। जिन कदमों ने निर्यात वृद्धि को आगे बढ़ाने में मदद की है, उनमें भौगोलिक संकेतक(जीआई) वाले माल को बढ़ावा देना, आभासी खरीदार विक्रेता सम्मेलन, परीक्षण की सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरे भारत में 220 प्रयोगशालाओं को मान्यता देना शामिल है।
इसके अलावा वैश्विक खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आवश्यकताओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास, बाजार विकास, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों और मांस प्रसंस्करण संयंत्रों और बूचड़खानों के पंजीकरण की वित्तीय सहायता योजनाओं ने भी निर्यात को बढ़ावा देने में मदद की।
कुछ किसान समूहों को कृषि कानूनों पर भरोसा नहीं दिला पाए, इसका खेद है
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत किया, लेकिन साथ ही खेद जताया कि सरकार कुछ किसान समूहों को इन कानूनों के लाभ के बारे में आश्वस्त करने में विफल रही। तोमर ने एक वीडियो संदेश में कहा कि सरकार तीन नए कृषि कानून लाकर कृषक समुदाय के सामने आने वाली अड़चनों को दूर करना चाहती थी। उन्होंने कहा कि संसद द्वारा पारित इन कानूनों से निश्चित रूप से किसानों को लाभ होता। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के पीछे प्रधानमंत्री का इरादा किसानों के जीवन में ‘क्रांतिकारी बदलाव’ लाना था। तोमर ने कहा कि मुझे दुख है कि हम कुछ किसानों को इन कानूनों के लाभ के बारे में समझाने में सफल नहीं हुए। प्रधानमंत्री ने हमेशा इन कानूनों के जरिये कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने की कोशिश की। लेकिन ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि कुछ किसानों को इन कानूनों में दिक्कतें दिखाई दीं। उन्होंने कहा कि सरकार ने तार्किक चर्चा के लिए बातचीत का रास्ता अपनाया।
तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत करते हुए मंत्री ने कहा, हमने समझाने की कोशिश की लेकिन हम सफल नहीं रहे। यह कहते हुए कि मोदी सरकार पिछले सात वर्षों से कृषि और किसान कल्याण के लिए प्रतिबद्ध रही है, तोमर ने वर्ष 2014 से शुरू की गई विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना तय करने का फैसला किया है, जिससे खरीद दोगुनी हो गई है।
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