नई दिल्ली। सरकार के महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया अभियान की सफलता के दावों पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए दो जानेमाने विशेषज्ञों ने अपने आकलन में कहा है कि इस कार्यक्रम से प्रमुख क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश की परख घरेलू उत्पादन में नई क्षमता विस्तार से की जानी चाहिए ना कि घरेलू कोष को घुमा फिराकर निवेश करने के रूप में की जानी चाहिए।
- रिपोर्ट के अनुसार भारत के विकास में एफडीआई योगदान के बारे में दिए जाने वाले बयान भ्रमित करने वाले हो सकते हैं और इसमें इन महत्वपूर्ण पक्षों (नई क्षमता विस्तार) की अनदेखी की जाती है।
- भारत को इस संबंध में एक लक्ष्य आधारित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
- इस रिपोर्ट को इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट (आईएसआईडी) के सेवानिवृत्त प्रोफेसर केएस चलपति राव और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने तैयार किया है।
- इस संबंध में आईएसआईडी ने एक अध्ययन कराया था।
- गौरतलब है कि सरकार ने सितंबर 2014 में मेक इन इंडिया पहल की शुरुआत की थी ताकि रक्षा, खाद्य प्रसंस्करण समेत 25 क्षेत्रों में विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा सके।
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