‘कोरोना संकट में फर्जी खबरों से बढ़ सकता है आर्थिक नुकसान, कंपनियां रहें सतर्क’
एक्सपर्ट्स के मुताबिक लोगों तक सही खबरें तेजी के साथ पहुंचना जरूरी
नई दिल्ली। देश और दुनिया में कोरोना वायरस जितनी तेजी से अपने पैर पसार रहा है, उतनी ही तेजी से इस महामारी से जुड़ी फर्जी खबरें भी फैल रही हैं। विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि इस तरह की गलत खबरों से दुनियाभर की कंपनियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं लोगों को भी स्वास्थ्य के मामले में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक सरकारों ने इस महामारी से जुड़ी झूठी खबरों का प्रसार करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। फिर भी फर्जी खबरें खत्म नहीं हो रही हैं।
फिलहाल गलत सलाह, गलत जानकारी देना, किसी कंपनी को लेकर दुष्प्रचार और कोरोन संकट की आड़ में साइबर अपराधियों द्वारा लोगों के साथ धोखाधड़ी जैसे मामले सामने आ रहे हैं।
जिनेवा स्थित विश्व आर्थिक मंच में मीडिया, मनोरंजन और सूचना उद्योग की ‘कम्युनिटी क्रिएटर’ फराह ललानी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि कंपनियों को उनके ब्रांड के बारे में प्रसारित की जा रही गलत सूचनाओं से निपटने के लिए तेज कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को सूचनाओं के सही माध्यमों तक लाना होगा। कंपनियों को तेजी से औऱ स्पष्ट सूचनाएं लोगों तक पहुंचानी होंगी। उन्होंने साफ कहा कि धोखाधड़ी करने वाले और गलत सूचनाओं फैलाने वाले अपना काम करते रहेंगे इसलिए कंपनियों को भी सावधानी बरतनी होगी।
भारत में उद्योग निकाय और जनसंपर्क समूह (एडवोकेसी ग्रुप) सहित विभिन्न संगठन कोविड-19 और लॉकडाउन से जुड़े आधिकारिक और विश्वसनीय आंकड़े जुटा रहे हैं जिससे कंपनियों को इस संकट से निपटने की तैयारियों में मदद की जा सकेगी। अनुसंधान एवं सार्वजनिक नीति सलाहकार कंपनी चेज इंडिया ने कोविड-19 संकट शुरू होने के साथ इस पर काम शुरू कर दिया था। चेज इंडिया द्वारा अपने ग्राहकों को रोजाना के आधार पर इससे जुड़ी जानकारियां भेजी जा रही हैं। साथ ही उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा इस पर क्या किया जा रहा है। विभिन्न कंपनियों ने इसको लेकर क्या कदम उठाए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों के पास सही सूचनाएं पहुंचना जरूरी है, तभी वे विभिन्न नए दिशानिर्देशों को समझ पाएंगी, उनका विश्लेषण और क्रियान्वयन कर सकेंगी। चेज इंडिया के सह संस्थापक एवं कार्यकारी उपाध्यक्ष मानस के नियोग ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में कोविड-19 जैसे स्वास्थ्य संकट के अलावा जलवायु परिवर्तन के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव सबसे बड़ी चिंता हैं। इनके बारे में समय पर सही सूचनाएं उपलब्ध होना जरूरी है।