Corona महामारी के दौरान एक्साइज ड्यूटी ने भरी सरकार की झोली, पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाने से हुआ फायदा
पेट्रोल पर वर्तमान में कुल एक्साइज ड्यूटी 32.98 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी की वजह से जहां टैक्स संग्रह में हर जगह कमी दर्ज की गई, वहीं दूसरी ओर चालू वित्त वर्ष के दौरान एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क) संग्रह 48 प्रतिशत उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर रिकॉर्ड टैक्स बढ़ाने की वजह से एक्साइज ड्यूटी संग्रह भी बढ़ा है।
कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट्स (CGA) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-नवंबर, 2020 के दौरान एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन 1,96,342 करोड़ रुपये रहा। 2019 की समान अवधि में सरकार को 1,32,899 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। आश्चर्य की बात है कि आठ माह की अवधि में 1 करोड़ टन डीजल की बिक्री कम हुई है, बावजूद इसके एक्साइज ड्यूटी में इजाफा हुआ है, जो केवल टैक्स बढ़ाने से संभव हुआ।
तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-नवंबर, 2020 के दौरान 4.49 करोड़ टन डीजल की बिक्री हुई है, जबकि एक साल पहले समान अवधि में देश के भीतर डीजल बिक्री 5.54 करोड़ टन रही थी। इस दौरान पेट्रोल की बिक्री भी घटकर 1.74 करोड़ टन रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 2.04 करोड़ टन थी।
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सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत दो दशकों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच जाने का फायदा उठाने के लिए चालू वित्त वर्ष के दौरान दो किस्तों में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई है। इसके साथ ही पेट्रोल पर वर्तमान में कुल एक्साइज ड्यूटी 32.98 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर है।
सीजीए के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान कुल एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन 2,39,599 करोड़ रुपये था। पेट्रोल की खुदरा कीमत में सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी का हिस्सा 39 प्रतिशत और डीजल की खुदरा कीमत में 42.5 प्रतिशत है। स्थानीय बिक्री कर या वैट को मिलाने के बाद ईंधन की कुल खुदरा कीमत में टैक्स का भार लगभग दो तिहाई हो जाता है।
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जब 2014 में पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी थी, तब पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर थी। मोदी सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच पेट्रोल व डीजल पर नौ बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई। इन 15 महीनों में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर 11.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर करने से सरकार को वित्त वर्ष 2016-17 में दोगुना राजस्व यानी 2,42,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि वित्त वर्ष 2014-15 में यह आंकड़ा 99,000 करोड़ रुपये था।
सरकार ने अक्टूबर, 2017 में एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी, इसके एक साल बाद एक्साइज ड्यूटी में 1.50 रुपये की और कटौती की गई। लेकिन इसके बाद सरार ने जुलाई, 2019 में एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी। इसके बाद मार्च, 2020 में दोबारा दोनों ईंधन के लिए एक्साइज ड्यूटी में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई। इसके बाद मई माह में सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर की रिकॉर्ड वृद्धि की।
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सीजीए के मुताबिक अप्रैल-नवंबर, 2020 के दौरान सरकार का कर संग्रह राजस्व 45.5 प्रतिशत गिरावट क ेसाथ 688,430 करोड़ रुपये रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने 16.35 लाख करोड़ रुपये का कर राजस्व अनुमान व्यक्त किया था। कॉरपोरेशन टैक्स कलेक्शन भी इस दौरान 35 प्रतिशत कम रहकर 185,699 करोड़ रुपये और आयकर संग्रह 12 प्रतिशत की कमी के साथ 235,038 करोड़ रुपये रहा है।
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