Rockstar Rajan: भारतीय निर्यात पर ग्लोबल सुस्ती का असर, राजन ने बचने के बताए तीन उपाय
राजन ने कहा कि निर्यात सिर्फ उत्पादकता में बढ़ोतरी, बुनियादी ढांचे में सुधार और नियमों को आसान बनाकर ही बढ़ाया जा सकता है जो सरकार के दायरे में है।
नई दिल्ली। एक्सचेंज रेट के कारण निर्यात के प्रभावित होने की दलील को आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि निर्यात सिर्फ उत्पादकता में बढ़ोतरी, बुनियादी ढांचे में सुधार और नियमों को आसान बनाकर ही बढ़ाया जा सकता है जो सरकार के दायरे में है। उन्होंने कहा, मोटी सी बात यह है कि भारतीय व्यापार धीमा पड़ रहा है, लेकिन नरमी वैसी ही है जैसी बाकी जगहों पर है। इसका बड़ा हिस्सा कमोडिटी की कीमतों में में नरमी के कारण है और हिस्सेदारी कम होने की वजह व्यापार व्यापार के आकार में गिरावट है।
घटते निर्यात के लिए एक्सचेंज रेट को जिम्मेदार ठहराना जल्दबाजी
राजन ने कहा, वस्तु निर्यात पिछले साल के मुकाबले थोड़ा ज्यादा प्रभावित हुआ है, लेकिन अभी कोई रुझान साफ तय करना जल्दबाजी होगी पर निश्चित तौर पर नरमी के लिए एक्सचेंज रेट को जिम्मेदार ठहराना मुश्किल है। भारत का निर्यात दिसंबर 2014 से लगातार गिर रहा है। लगातार 14वें महीने जनवरी में इसमें 13.6 फीसदी गिरावट रही। जनवरी का निर्यात 21 अरब डॉलर रह गया। ऐसा पेट्रोलियम और इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात में गिरावट के मद्देनजर कुल निर्यात प्रभावित हुआ है। राजन ने कहा कि एक्सचेंज रेट निर्यात बढ़ाने में शायद ही मददगार साबित हो। उन्होंने कहा, उत्तर आसान है – बुनियादी ढांचा निर्माण कर उत्पादकता बढ़ाएं, बेहतर स्कूल, कॉलेज, व्यावसायिक शिक्षा और रोजगार पर प्रशिक्षण देकर मान पूंजी में सुधार करें, कारोबारी नियम एवं कराधान आसान बनाएं और कर्ज की पहुंच बढ़ाएं। राजन ने कहा, सौभाग्य से सरकार इन्हीं सब (सुधारों) पर ध्यान केंद्रित किए हुए है।
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अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले भारत की स्थिति अच्छी
राजन ने कहा, आरबीआई इस जानने का दावा नहीं करता कि किसी निश्चित समय पर संतुलित एक्सचेंज रेट क्या होनी चाहिए, हम समायोजन के लिए तब हस्तक्षेप करते हैं। उन्होंने कहा, हमारी मंशा विनिमय दर जरूरत से अधिक बढ़ने और बेवजह उतार-चढ़ाव को रोकने की होती है बजाए इसके कि हम आवश्यक समायोजन के रास्ते में खड़े हों। गवर्नर ने कहा कि भारत का निर्यात अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले काफी अच्छी स्थिति में है। उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर पिछले साल जब वस्तु निर्यात घटा तो वास्तविक प्रभावी विनिमय दर लगभग उसके पिछले साल के स्तर पर ही थी। इसलिए जो विनिमय दर को इस आरोप से मुक्त करना चाहता है वह मौजूदा अवधि की ओर इशारा करेगा।