नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नकदी या करेंसी नोटों का अत्यधिक इस्तेमाल समाज के लिए नुकसानदेह है। उन्होंने उम्मीद जताई कि नई बैंकिंग कंपनियों के आने के बाद बैंकिंग लेनदेन शुल्कों में कमी आएगी। वित्त मंत्री ने इस बात पर संतोष जताया कि डिजिटलीकरण उम्मीद से अधिक तेजी से हो रहा है। उन्होंने कहा कि डाकघरों को बैंक में बदलना अगली क्रांति होगी।
जेटली ने नोटबंदी की विपक्षी दलों द्वारा की जा रही आलोचनाओं के मद्देनजर कहा कि जब करेंसी या नकदी का आविष्कार नहीं हुआ था तब भी शिकायतें रही होंगी या फिर कल को इसे खत्म कर दिया जाता है तो भी शिकायतें रहेंगी।
- उन्होंने कहा कि नोटबंदी के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो इसका मकसद कागज की करेंसी को डिजिटल अर्थव्यवस्था से बदलना है। यह विस्तार किन्हीं भी टिप्पणीकारों के अनुमान से कहीं तेजी से हो रहा है और इसकी वजह स्पष्ट है।
- वित्त मंत्री ने कहा, लोग यह समझने लगे हैं कि करेंसी नोटों का अत्यधिक इस्तेमाल समाज के लिए बाधक है।
- जो चल रहा है कि उसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि भारत कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।
- उन्होंने कहा कि देश की नई पीढ़ी उभरती प्रौद्योगिकियों तथा तकनीकों को काफी आसानी से अपना लेती है।
- उन्होंने कहा कि जब लेनदेन की संख्या बढ़ेगी, तो सेवा शुल्क की दरें न्यूनतम पर आएंगी।
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