नई दिल्ली। खाने-पीने का सामान खरीदते वक्त आपको सचेत रहने की जरूरत है, क्योंकि बाजार में नकली प्रोडक्ट की भरमार है। देश के सार्वजनिक खाद्य सुरक्षा लैबोरेट्रीज में जांच किए गए खाद्य पदार्थों के हर पांच में से एक नमूने में मिलावट और गलत मार्का (मिसब्रांडेड) पाया गया है। इसमें सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में पाए गए। उसके बाद पंजाब और मध्य प्रदेश का स्थान रहा है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने लैबोरेट्रीज की टेस्टिंग के आधार पर रिपोर्ट जारी किया है, जिसके अनुसार इस साल अबतक 2,795 मामलों में 10.93 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया जबकि 1,402 मामलों में आरोपियों को दोषी ठहराया गया है।
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा नकली समान
राज्य सरकारों द्वारा एकत्र रिपोर्ट के अनुसार खाद्य सुरक्षा लैबोरेट्रीज में 83,256 नमूने प्राप्त किए। इसमें से 24 नवंबर 2015 तक 74,010 के परीक्षण किए गए। आंकड़ों के अनुसार परीक्षण किए गए नमूनों में से 14,599 नमूनों में मिलावट और गलत मार्का पाए गए। मिलावट और गलत मार्का के सर्वाधिक 4,119 नमूने उत्तर प्रदेश में पाए गए। उसके बाद क्रमश: पंजाब (1,458), मध्य प्रदेश (1,412), गुजरात (1,243), महाराष्ट्र (1,162) और तमिलनाडु (1,047) का स्थान रहा।
2795 मामलों में 10.93 करोड़ का लगाया जुर्माना
कुल 2,795 मामलों में 10.93 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया ताकि अधिकतम 5.98 करोड़ रुपए का जुर्माना उत्तर प्रदेश से जुड़े मामलों में लगाये गए। रिपोर्ट के मुताबिक 2,676 आपराधिक मामलों में आपराधिक और 7,860 मामलों दीवानी मुकदमे दायर किए गए। वहीं 1,402 मामलों में आरोपियों को दोषी ठहराया गया। इस साल जून में एफएसएसएआई द्वारा मैगी पर प्रतिबंध के बाद खाद्य की गुणवत्ता से जुड़े मुद्दे चर्चा में आए।
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